मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित अगर बिहार के तमाम नेता मैलेकुचैले कपड़ों में नजर आएं तो बात हैरानी की होगी. जल्दी ही ऐसा हो भी सकता है. वजह, बिहार में धोबियों ने चेतावनी दी है कि धोबी समाज की 18-सूत्री मांगों पर जल्द गौर नहीं किया गया तो वे जनप्रतिनिधियों के कपड़े धोना बंद कर देंगे.

धोबी समाज मुद्दत से पटना के कंकड़बाग में धोबीघाट के निर्माण की मांग करता रहा है. सो, अब उस पर अड़ गया है. धोबी या रजक समाज के लोगों की गिनती हिंदीभाषी राज्यों में अनुसूचित जाति यानी दलितों में होती है. समाज का मैला धोने वाला यह वर्ग दूसरे दलितों की तरह ही अछूत व भेदभाव का शिकार रहा है.

अब नई आफत बिहार के ही नहीं, बल्कि देशभर के धोबियों की रोजीरोटी पर आ पड़ी है कि धोबीघाट खत्म होते जा रहे हैं. देखना दिलचस्प होगा कि दलितों की हिमायत करते रहने वाले नीतीश कुमार धोबियों के इस दर्द को दूर करते हैं या नहीं.

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