पौराणिकवादियों की बातें भले ही नुकसानदेह हों पर होती बड़ी मजेदार हैं. उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने एक बड़ी दिलचस्प बात यह कही कि माता सीता एक टैस्टट्यूब बेबी थीं जो घड़े से पैदा हुई थीं. सहज समझा जा सकता है कि त्रेतायुग में विज्ञान कितना उन्नत था. सीता का पति राम भी अपनी मां कौशल्या के खीर खाने से पैदा हुआ था जो निसंदेह कोई पुत्रजीवक औषधि रही होगी. रामायण और महाभारत सहित तमाम धर्मग्रंथ ऐसे ही ऊटपटांग व अव्यावहारिक प्रसंगों से भरे पड़े हैं. आजकल राजनेता कुछ और करें न करें पौराणिक बातों को जरूर विज्ञान से जोड़ने से चूकते नहीं.

महाभारत में इंटरनैट का होना और नारद मुनि को पत्रकार करार देना एक साजिश या कुंठा की देन है जिस का मकसद पंडेपुजारियों की दुकान चलाए रखना है. इस बेतुकी और बेहूदी बात को फर्टिलिटी सैंटर वाले चाहें तो भुना सकते हैं. अपने इश्तहारों में वे सीता का फोटो लगाएं तो अब कोई ऐतराज नहीं जता सकता. अब भला जिस विधि या पद्धति से सीता पैदा हुई, उसे प्रोत्साहन तो मिलना ही चाहिए न. बेहतर होता अगर दिनेश शर्मा डाक्टर का और त्रेतायुग के सीता फर्टिलिटी सैंटर का नामपता भी उजागर कर ही देते.

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