पहले दलितों को तरहतरह से बिदकाया और अब उन्हें मनाने में जुटी भाजपा फिर ड्रामेबाजी कर रही है, जिसे देख सभी का टाइम मजे से पास हो रहा है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को तो प्रतापगढ़ में दलितों के घर जा कर खाना तक खाना पड़ा जिस से साफ हुआ कि ब्राह्मण भोज का रिवाज कायम है, बस, तरीका बदल गया है. इस भोज से बसपा प्रमुख मायावती के मुंह का जायका बिगड़ा तो वे प्रैस कौन्फ्रैंस बुला कर बोलीं कि यह भी भला दलितों के घर खाना, खाना हुआ जिस में योगी अपना खाना और बरतन साथ ले गए थे.

मायावती के मुताबिक, बरतन दलितों के होने चाहिए थे और भोजन भी उन्हीं के हाथ का पका होना चाहिए था, तभी यह पूर्णरूप से अर्थात शास्त्रसम्मत दलित भोज माना जाता. मुमकिन है झल्लाई मायावती यह शर्त पूरी हो जाने पर यह कहने लगें कि नहीं, खाना दलितों के हाथ से ही खाया जाना चाहिए था और शबरी की तर्ज पर दलितों द्वारा चखा हुआ होना चाहिए था.

ढोंग और पाखंडों की परवान चढ़ती दलित राजनीति के इस दौर में माया शायद भूल गईं कि दलितों के तरह साधुसंन्यासियों के भी अपने अलग बरतनभाड़े होते हैं.

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