बड़ा नेता क्यों बड़ा माना जाता है, भाई शिवपाल यादव की नई पार्टी की पहली रैली में पहुंचकर मुलायम सिंह यादव ने दिखा दिया. लखनऊ के रमाबाई स्टेडियम में शिवपाल यादव की नई पार्टी ‘प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया’ की पहली रैली थी. रैली में भीड़ जुटाने के लिये शिवपाल यादव और उनके पार्टी के लोगों ने अथक प्रयास किया. भीड़ के जरीये अपनी ताकत का अहसास भर कराना था. रैली में मुलायम सिंह यादव के पहुंचने की संभावना नाममात्र भी नहीं थी. इसके बाद मुलायम सिंह यादव और उनकी छोटी बहू अपर्णा यादव रैली में पहुंचे और अपनी बात कही. मुलायम सिंह यादव इस रैली में पहुंच कर समाजवादी परिवार को एकजुट करने के प्रयास में दिखे.

‘प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया’ यानि पीएसपी लोहिया के प्रमुख शिवपाल यादव ने कहा कि ‘मैं कोई पद नहीं चाहता था. मैं केवल अपना और नेताजी का सम्मान चाहता था. मैंने नई पार्टी बनाने का फैसला चापलूसों की वजह से किया.’ शिवपाल के भाषण में समाजवादी पार्टी में उपेक्षा का दर्द झलक रहा था. मुलायम सिंह यादव ने रैली में पहुंच कर शिवपाल यादव का हौसला बढ़ाया और आर्शीवाद दिया. मुलायम अपने भाषण में बारबार समाजवादी पार्टी को मजबूत बनाने की बात करते रहे. जो शिवपाल यादव के समर्थक नेताओं को नागवार गुजर रही थी. मुलायम के भाषण के दौरान भी कुछ हूटिंग हुई. इसके बाद भी मुलायम ने बिना किसी प्रतिक्रिया के अपना भाषण पूरा किया. शिवपाल को आर्शीवाद दिया.

मुलायम सिंह यादव जानते हैं कि परिवार में बिखराव का कोई लाभ नहीं होगा. वह यह मानते हैं कि देर सबेर यह परिवार फिर से एकजुट होगा. इस वजह से वह भाई शिवपाल और पुत्र अखिलेश यादव के बीच आतेजाते रहते हैं. मुलायम के विरोधी शिवपाल को भी उकसाते हैं और अखिलेश को भी. इसके बाद भी मुलायम परिवार में एकता के पक्षधर बने हुये हैं.

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