मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ और राजस्थान में भले ही विधानसभा के चुनाव लड़े जा रहे हों पर भारतीय जनता पार्टी अपने 3 मुख्यमंत्रियों शिवराज सिंह चौहान, डाक्टर रमन सिंह और वसुंधरा राजे सिंधिया के नाम पर चुनाव लड़ने की जगह पर प्रधनमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम का ही सहारा ले रही है. केवल प्रचार अभियान में ही नहीं नाराज भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को मनाने के लिये भी ‘मोदी नाम’ का सहारा लिया जा रहा है. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और डाक्टर रमन सिंह लगातार 3 बार से चुनाव जीतते आ रहे है. इसके बाद भी इन चुनावों में जनता को प्रभावित करने में असफल हो रहे है. राजस्थान में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया को लेकर पार्टी में गुटबाजी कायम है.

ऐसे में केवल ‘मोदी नाम’ पर ही भाजपा वोट मांग रही है. प्रधनमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ ही साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को यहां स्टार प्रचारक की भूमिका में रखा गया है. ‘मोदी नाम’ पर चुनाव लड़ रही भाजपा यह बात खुलकर बोल नहीं रही है. इसकी वजह यह है कि खुद प्रधनमंत्री मोदी की चमक 2014 वाली नहीं रह गई है. ऐसे में अगर भाजपा इन राज्यों में चुनाव हारती है तो हार की जिम्मेदारी प्रधनमंत्री नरेन्द्र मोदी की जगह सत्ता विरोधी मत और यहां के मुख्यमंत्रियों के उपर डाल दी जायेगी. 5 राज्यों के विधनसभा चुनाव में मणिपुर और तेलंगाना कम चर्चा में हैं पर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान सबसे अहम है.

इन राज्यों में भाजपा की सरकार है. मध्य प्रदेश और छत्तसीगढ़ में 15 सालों से भाजपा के मुख्यमंत्री सरकार चला रहे है. यहां पर सत्ता के विरोध में जनता है. स्थानीय नेताओं का कोई खास आकर्षण नहीं है. स्थानीय स्तर पर कोई चुनावी मुददा नहीं है. पार्टी के बडे नेता भी स्थानीय मुददों पर भाषण नहीं दे रहे है. ऐसे में हवा के रूख का उनको अंदाजा नहीं लग रहा है. भाजपा वोट के धर्मिक ध्रुव्रीकरण के लिये अयोध्या के राम मंदिर मुददे को उछाल रही है. इसके लिये उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को प्रचार मैदान में सबसे अधिक जगह दी जा रही है. भाजपा ने योगी को ‘धर्म का ब्रांड एम्बेसडर’ बना दिया है.

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