मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 18 अगस्त को सृजन घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश कर दी. इस घोटाले में कई सरकारी बैंक भी लिप्त हैं. मामले में अब तक 10 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं. 9 एफआईआर भागलपुर में और 1 सहरसा में दर्ज की गई हैं. 12 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है और अब तक 1,200 करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले का पता चला है. जांच में लगे अफसरों को घोटाले की रकम के और बढ़ने की आशंका हैं.

18 अगस्त को बैंक औफ बड़ौदा के सहायक मैनेजर अतुल रमण को गिरफ्तार किया गया. साल 2013 में अतुल की बहाली हुई थी. एसआईटी की टीम ने भागलपुर के परबत्ती इलाके में स्थित उस के घर से उसे उठाया.

अतुल ने एसआईटी को बताया कि वह सृजन महिला विकास समिति भागलपुर की संचालिका मनोरमा देवी के इशारों पर काम कर रहा था. उस की नौकरी नई थी, इस वजह से उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था और वह मनोरमा देवी के निर्देशों का पालन भर कर रहा था.

अतुल पर आरोप है कि वह सरकारी रकम को सृजन के खाते में ट्रांसफर करवाने में मुख्य भूमिका अदा करता था. उस के बदले उसे मनोरमा देवी से मोटा कमीशन मिलता था.

अप्रैल महीने में उस ने तिलकामांझी खानपट्टी में रहने वाली बीबी हुजमान निगार नाम की महिला से इशाकचक थाना के बरहपुरा महल्ले में 51 लाख रुपए में एक मकान खरीदा था. अतुल की पत्नी जूली के नाम पर बैंक औफ बड़ौदा के खाते में 5 लाख 12 हजार रुपए जमा हैं. इस के अलावा तिलकामांझी के बैंक औफ इंडिया में 1 लाख रुपए समेत ततारपुर और स्टेट बैंक के सिटी ब्रांच और यूको बैंक में उस के और उस की पत्नी के नाम पर काफी रुपए जमा हैं. अतुल और उस की पत्नी के पास 10 लाख 5 हजार रुपए के गहने हैं.

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