दिवाली के एक रोज पहले अयोध्या में हुए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के भव्य आयोजन के कारण 400 साधुओं सहित 1000 से अधिक लोग बेघर हो गए. 6 नवंबर को राज्य सरकार ने सरयू नदी के घाट पर रंगबिरंगी रोशनी के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का एक बड़ा मेला लगाया. मेले में आने वाले हाई प्रोफाइल अतिथियों में राज्यपाल राम नाईक, आदित्यनाथ और दक्षिण कोरिया की प्रथम महिला किम जोंग-सुक जैसे नाम शामिल थे.

विशिष्ठ अतिथियों की सुरक्षा और शहर की सफाई के मद्देनजर आयोजन स्थल के रास्ते से अतिक्रमण हटाया गया. अतिक्रमण हटाओ अभियान में अयोध्या के मांझा इलाके के बहुत से दिहाड़ी मजदूरों या साधुओं को विस्थापित होना पड़ा. दशकों से सरयू के पास के क्षेत्र को स्थानीय लोग मांझा कहते हैं.

जिस बेरहमी से अतिक्रमण हटाया गया उसने सैकड़ों परिवार- बच्चे, बुजुर्ग और साधुओं के सिर से छत छीन ली. साधु शंकर दास ने बताया, “15 दिन पहले भारी पुलिस बल के साथ बुलडोजर इस इलाके में आया.” शंकर दास दिसंबर 1992 में, जिस साल बाबरी मस्जिद गिराई गई थी, कारसेवकों के साथ अयोध्या आए थे और तब से ही मांझा में रह रहे हैं. दास ने बताया कि अतिक्रमण हटाने का काम 5 नवंबर तक जारी रहा “और हम लोगों को अपना सामान तक बाहर करने नहीं दिया गया. जिन लोगों ने इसका विरोध किया उन्हें पीटा गया और गिरफ्तार कर लिया गया.”

आदित्यनाथ का शिकार हुए अन्य साधू शिवप्रयाग गिरी ने बताया कि मांझा इलाके में लगभग 400 साधू रहते हैं. “कुछ साधू 1992 से यह सोच कर यहां रह रहे थे कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के काम में शामिल होंगे और अन्य साधू यहां इस कारण बस गए क्योंकि उनके पास जाने की और कोई जगह नहीं थी.”

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