कुछ हारी हुई जिंदगी और हारे हुए हम

कुछ आंसू, कुछ तनहाई और थोड़े गम

साए में लिपटी हुई

एक चुप सी मुसकान

होंठों पर फैलने को बेचैन

 

सांसों में घुला हुआ गीत

कोशिश में अधरों पर फैलाने को संगीत

आंखों के कोने पे सूखे से आंसू

सूखे से आंसू में एक सूखी सी चाहत

 

पैरों से रौंदे हुए सूखे से सपने भी

और एक परिहा सा दिल

दबेदबे से अरमान

और कत्ल किए हुए जज्बात

घुटाघुटा मरामरा सा सब

एक सन्नाटे में छिपा हुआ सब.

-दीपशिखा टेलटिया

 

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