तुम तो मर्यादा पुरुषोत्तम हो

तुम ने सरेआम

सीता की अग्निपरीक्षा ले कर

क्या सीता की मर्यादा पर

प्रश्नचिह्न नहीं लगाया?

तुम क्या साबित करना चाहते थे

क्या जनता की आंखों के

प्रश्नभरे बाणों से बचना चाहते थे

या कहीं न कहीं स्वयं को भी

आश्वस्त करना चाहते थे?

माना कि लोगों ने सीता के

सतीत्व पर प्रश्नचिह्न लगाया

पर वे तो पराए थे

तुम्हारा क्या, तुम तो अपने थे

तुम्हारा विश्वास क्यों डगमगाया

तुम ने भोली जनता को

क्यों नहीं समझाया?

तुम्हारे पौरुष और शौर्य की गाथा

तो सब ने सुनी थी

फिर साहस तुम्हारा कहां गया?

अच्छा तुम राजा थे

माना कि सीता

दुश्मनों के पास

अधीन रहीं, अकेली रहीं

इसीलिए संदेह के घेरे में आईं

परंतु उस ने तुम्हारे सम्मान के लिए

अग्निपरीक्षा दी और

निष्कलंक सफलता पाई

और तुम भी तो

सीता की तरह रहे अकेले

वह भी मुक्त और स्वच्छंद

फिर किसी ने तुम्हारी

अग्निपरीक्षा क्यों नहीं ली?

या फिर स्वयं तुम ने

मर्यादा की रक्षा हेतु

लोकहित में अग्निपरीक्षा

क्यों नहीं दी?

उत्तर दो

तुम तो मर्यादा पुरुषोत्तम हो.

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