छोरी छरहरी की
कोमल कलाई ने
नींद चुराई है.
काली कजरारी की
चंचल चमकाई ने
नींद चुराई है.
गोरी के गालों पर
अंकुरी अरुणाई ने
नींद चुराई है.
घुमड़ी घटाओं की
नागिन निराली ने
नींद चुराई है.
गजरे के गुच्छे की
मादक महकाई ने
नींद चुराई है.
प्रीत की प्याली की
रसमय रचाई ने
नींद चुराई है.
अकुलाती अंगिया में
उमड़ी उफनाई ने
नींद चुराई है.
निखरे नितंबों की
अद्भुत अंगड़ाई ने
नींद चुराई है.
- डा. सुरेश मोहन प्रसाद
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
सब्सक्रिप्शन के साथ पाए
500 से ज्यादा ऑडियो स्टोरीज
7 हजार से ज्यादा कहानियां
50 से ज्यादा नई कहानियां हर महीने
निजी समस्याओं के समाधान
समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...
सरिता से और