जैसे ही सूरज आकाश में अपनी लालिमा बिखरेता है, शुरू हो जाता है मेरे भी पुराने दिन वाले अंतहीन कामों का सिलसिला,

सपनों की दुनिया से निकल मेरा वजूद खुद को समेटता है. जिंदगी की दौड़ में बस भागती ही जाती हूं,

मैं हूं एक वर्किंग वूमन मैं पैसे कमाती हूं.

किया था कब सुकून से स्नान पिछली बार, कामों को निबटाने में ही वक्त दौड़ता चला जाता है.

कभी तो सुकून से अपने बदन को पोंछ लिया करो, कहते हुए मेरा तौलिया अकसर मुझ से रूठ जाता है.

सोलह शृंगार के लिए फुरसत कहां, 2 कंघी से भी सिर्फ बाल छुआती हूं. मैं हूं एक वर्किंग वूमन मैं पैसे कमाती हूं.

अखबार पढ़ते चाय पीने की ख्वाहिश अधूरी ही रही,

आपाधापी में चाय वाला कप भी अकसर आधा ही रह जाता है. कामवाली के समय पर आने के लिए दुआएं करती हूं,

मैं हूं एक वर्किंग वूमन मैं पैसे कमाती हूं.

गुडि़या हमेशा शिकायत करती है, मुझे स्कूल क्यों नहीं छोड़ने आती हो.

प्यारी सी झिड़की दे कर स्कूल आने का झूठा वादा कर आती हूं, मैं हूं एक वर्किंग वूमन मैं पैसे कमाती हूं.

पलपल बदलती जा रही है दुनिया मगर,

मेरा वही प्रैजैंट, फ्यूचर और पास्ट है. कभी शेयर आटो की लंबी कतार में खड़ी हूं,

कभी भागतेभागते पकड़नी डोंबिवली सीएसटी फास्ट है. फर्स्ट क्लास का किराया दे कर भी रोज खड़ेखड़े ही आतीजाती हूं,

मैं वर्किंग वूमन अनजाने मुंबई शहर की भीड़ का हिस्सा बन जाती हूं.

औफिस पहुंच कर झट से काम में लग जाती हूं, फिर शाम होते ही रात की चिंता सताती है.

बच्ची को पालनाघर से और सब्जीकिराना लाना, सोच कर चाल बढ़ती जाती है.

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