बरसों से तलाश थी जिस मोहब्बत की

आज टकराई कहीं जाके

खुशी से फूले नहीं समा रहा था मैं

पर खुशी काफूर हुई शीशे के सामने आके

उम्र का एहसास इस से पहले तो

नहीं करवाया जिंदगी ने

आज जब मोहब्बत खिली तो

जिंदगी खड़ी थी उम्र को लाके

अब हिम्मत कहां से लाऊं ओ जान

परवाना बन के कैसे जाऊं तू बता

अब इंतजार है

कब तू समझे आंखों की जबां

वरना यों ही कट जाएगी

जिंदगी तुझ पर होके कुरबान.

- स्मृति भोला

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