मेरा दामन अश्कों से जब भी नम होता है
गम देने वाला अपना ही हरदम होता है
रिश्वतखोर नहीं कोई यों ही बन जाता है
पीछे कुछ लोगों का दमखम होता है
जो मौकापरस्त होते हैं, कुरसी पर जो हो
उन के हाथों में ऐसों का परचम होता है
किसे फुरसत है शामिल हो गैरों के गम में
आदमी का खुद का गम क्या कम होता है
‘अंजुम’ जो भी मिला गमगीन नजर आय
छूता हूं जो भी दामन वो ही नम होता है.
- अखिलेश ‘अंजुम’
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
सब्सक्रिप्शन के साथ पाए
500 से ज्यादा ऑडियो स्टोरीज
7 हजार से ज्यादा कहानियां
50 से ज्यादा नई कहानियां हर महीने
निजी समस्याओं के समाधान
समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...
सरिता से और