काजल अग्रवाल ने 19 साल की उम्र में फिल्म ‘‘क्यों हो गया ना’’ से अपने अभिनय करियर की शुरूआत की थी. लेकिन इस फिल्म के बाद उन्हे हिंदी फिल्मों में कोई काम नहीं मिला. तीन साल तक इंतजार करने के बाद काजल अग्रवाल ने दक्षिण भारत की तरफ रूख किया और 2007 में तेलगू फिल्म ‘‘लक्ष्मी काल्यणम’’ की. तब से दक्षिण भारत में तमिल व तेलगू की ‘‘मगधीरा’’ व ‘थुपाकी’ सहित चालीस फिल्मों में अभिनय कर चुकी हैं. वह बार बार हिंदी फिल्मों की तरफ रूख करती हैं, पर हिंदी फिल्मों में उनका करियर बन नहीं पा रहा है.

2004 के बाद काजल अग्रवाल ने अजय देवगन के  साथ 2011 की सफलतम हिंदी फिल्म ‘‘सिंघम’’ की. लेकिन ‘सिंघम’ की सफलता का सारा श्रेय अजय देवगन को मिल गया और फिर ‘सिंघम’ की सिक्वअल फिल्म ‘सिंघम रिटर्न’ से काजल अग्रवाल का पत्ता कट गया. इसके बाद वह 2013 में अक्षय कुमार के साथ फिल्म ‘‘स्पेशल 26’ में प्रिया चौहाण की एक छोटी सी भूमिका में नजर आयीं. इस फिल्म को बाक्स आफिस पर सफलता भी नहीं मिली.

अब पूरे तीन साल बाद वह फिल्म ‘दो लुफ्जों की कहानी’ में रणदीप हुड्डा के साथ नजर आने वाली हैं. यह फिल्म एक मशहूर कोरियन फिल्म ‘‘आलवेज’’ का हिंदी रूपांतरण है. एक बात समझ से परे है कि काजल अग्रवाल को दक्षिण में फिल्में मिल रही हैं, तो फिर हिंदी में उन्हे फिल्में क्यों नहीं मिल पा रही है?

जब एक मुलाकात में काजल अग्रवाल से हमने पूछा, ‘आपको नहीं लगता कि हिंदी फिल्मों में जिस तरह से आपका करियर आगे बढ़ना चाहिए, उस तरह से नहीं बढ़ रहा है?’’ मेरे इस सवाल पर उनके चेहरे पर ऐसे भाव आए, जैसे कि उन्हे यह सवाल पसंद नहीं आया हो. पर बहुत ही संयत होकर काजल अग्रवाल ने जवाब दिया-‘‘मुझे ऐसा नहीं लगता. यह मेरी अपनी पसंद की बात है कि मुझे किस भाषा की फिल्म करनी है. दक्षिण भारत की फिल्मों में मैं काफी व्यस्त हूं. देखिए, हिंदी,तमिल व तेलगू में से किस भाषा में मुझे फिल्म करनी है, यह मेरी अपनी पसंद व मेरे चयन की बात है. मैं दक्षिण में कई फिल्में कर रही हूं. यह कहना गलत होगा कि हिंदी फिल्मों में मेरा कैरियर अच्छा नहीं जा रहा है. जब मैं हिंदी फिल्म करना चाहती हूं, तब कर लेती हूं.’’

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