इन दिनों देश के राजनीतिक गलियारों, अदालतों के साथ साथ बौलीवुड में भी अयोध्या में राम जन्मभूमि स्थान पर राममंदिर के निर्माण का ही मुद्दा छाया हुआ है. ऐसे  समय में ही अयोध्या से जुड़ी दो फिल्मों के बैन का मसला भी चर्चा में हैं.

6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में जो कुछ हुआ, उस पर पूरी यथार्थपरक रोशनी डालकर उससे वर्तमान पीढ़ी को अवगत कराने के नाम पर बनी निर्देशक देव पाण्डे की, खेसारीलाल व काजल राघवानी अभिनीत भोजपुरी फिल्म ‘‘बाबरी मस्जिद’’ को सेंसर बोर्ड पहले ही बैन कर चुका है और अब सुनील सिंह निर्देशित हिंदी फिल्म ‘‘गेम ऑफ अयोध्या’’ भी बैन हो गयी है. ‘‘सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टीफिकेशन’’ द्वारा ‘गेम ऑफ अयोध्या’ को सेंसर प्रमाण पत्र देने से इंकार कर दिए जाने से अब यह फिल्मं सिनेमाघरों में प्रदर्शित नहीं की जा सकती. ‘सेंट्ल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टीफिकेशन’ ने फिल्म के कंटेंट पर भी सवाल उठाया है.

‘‘सरोज इंटरटेनमेंट प्रा.लिमिटेड’’ के बैनर तले बनी निर्माता रचना सिंह व कार्यकारी निर्माता भूषण अग्रवाल तथा निर्देशक सुनील सिंह की फिल्म ‘‘गेम ऑफ अयोध्या’’ एक पत्रकार की प्रेम कहानी के साथ अयोध्या मसले पर उसने 25 साल पहले जो रिपोर्टिंग के वक्त गलती की थी, उसे सुधारते हुए सच को लोगों के सामने रखने की कहानी है. फिल्म में 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में कुछ राजनेताओं की मौजूदगी में कार सेवकों ने जो कृत्य किया था, उसका चित्रण करने के साथ ही अयोध्या घटनाक्रम पर गठित लिब्रहान कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर तथ्य पेश किए गए हैं. फिल्म में कुछ पुराने वीडियो भी जोडे़ गए हैं.

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