वक्त वक्त की बात है. महज सात वर्ष की उम्र में डैनी बोयले की ऑस्कर विजेता फिल्म ‘‘स्लमडाग मिलेनियर’’ में जमाल मलिक का किरदार निभाकर पूरे विश्व में शोहरत बटोरने के अलावा ‘स्क्रीन एक्टर्स गिल्ड अवार्ड’ से सम्मानित आयुष खेड़ेकर अब सोलह वर्ष के हो गए हैं. सिविल इंजीनियर पिता महेश खेड़ेकर व शिक्षक माँ सयाली खेड़ेकर के बेटे आयुष खेड़ेकर को जब खबर मिली कि उनकी फिल्म ‘‘ऑस्कर अवार्ड’’ के लिए चुनी गयी है, तो उस वक्त तक आयुष को यह भी नहीं पता था कि ‘‘ऑस्कर अवार्ड’’ क्या होता है.

चार साल की उम्र से अभिनय करते आ रहे आयुष खेड़ेकर आज ग्यारहवीं कक्षा की पढ़ाई करने के साथ साथ योगेश पगारे की फिल्म ‘‘एक था हीरो’’ में शीर्ष भूमिका निभाकर शोहरत पा रहा है, तो उसे कुछ भी आश्चर्यजनक नहीं लगता. खुद आयुष कहता है- ‘‘पहली फिल्म ‘स्लमडॉग मिलेनियर करने पर काफी शोहरत मिली थी. पर उस वक्त शोहरत क्या होती है, ऑस्कर अवार्ड क्या होता है, इसकी मुझे कोई समझ ही नहीं थी. मैंने यह फिल्म सात वर्ष की उम्र में की थी. जब हमने इस फिल्म में अभिनय किया था. उस वक्त हमें कभी नहीं लगा था कि इतनी शोहरत मिलेगी. लेकिन फिल्म की शूटिंग के दौरान निर्देशक डैनी बोयले का मोटीवेशन देखकर बहुत प्रभावित हुआ था.

जिस दिन ऑस्कर अवार्ड की घोषणा हुई, उस दिन मैंने अपने पिता के साथ बैठकर इंटरनेट पर ऑस्कर अवार्ड के बारे में जानकारी ली. तब मुझे खुशी हुई थी कि बड़े बड़े अंतर्राष्ट्रीय फिल्मकारों से मिलने का अवसर मिलेगा.

उसके बाद ऑस्कर अवार्ड के लिए हम भी अमरीका के लॉस एंजेल्स शहर गए थे. वहां काफी दिग्गज कलाकार, निर्माता व निर्देशक थे. मैं तो किसी को पहचानता नहीं था.पर उन लोगों ने मेरी फिल्म देखी थी, तो वह सभी मुझे पहचान रहे थे. पर मेरे मन में था कि काश! मैं भी उन लोगों को पहचानता होता, तो मैं उनके साथ अच्छी अच्छी तस्वीरें खिंचवाता. उस वक्त वहां कई कलाकारों ने मुझसे बहुत कुछ कहा था, पर मुझे कुछ भी याद नहीं रहा. उसके बाद तो मुझे कई अवार्ड मिल गए. मैने अमिताभ बच्चन, हृतिक रोशन के साथ विज्ञापन फिल्म कर ली. अब ‘एक था हीरो’ की है.’’

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