संगीत जगत में जिन ऊंचाईयों को आशा भोसले ने छुआ है, उन ऊंचाईयों को छूने की ललक आज के किसी भी गायक या संगीतकार में नजर नहीं आती. संगीत का जो पतन हो रहा है, उसको लेकर आशा भोसले का दर्द हाल ही में अमेरीका के वाशिंगटन डीसी में पत्रकारों से बात करते हुए झलक पड़ा.

आशा भोसले हाल ही में वाशिंग्टन डीसी में, ‘वोल्फ टैप फाउंडेशन फार द परफार्मिंग आर्ट्स’ के समारोह का हिस्सा बनने गयी थी. उसी वक्त 83 वर्षीय मशहूर भारतीय गायक आशा भोसले ने वाशिंगटन डीसी के पत्रकारों के सामने कबूल किया कि अब वह म्यूजिकल कंसर्ट का हिस्सा नहीं बनेगी.

उन्होंने इस उम्र में भी अपनी मधुर आवाज की वजहों का जिक्र करते हुए कहा, ‘संगीत में रियाज बहुत जरुरी है. मैं हर दिन सुबह उठकर सबसे पहले ‘ओम’ का उच्चारण करती हूं. यही मेरे लिए योग है. उसके बाद मैं वॉक पर जाती हूं. फिर घर पर शास्त्रीय संगीत का रियाज करती हूं. अपनी आवाज को प्रशिक्षित करती रहती हूं. यदि आप रियाज नहीं करेंगे, तो आप अपनी आवाज खो देंगे.’

जब वाशिंगटन के पत्रकार ने आशा भोसले से कहा कि उन पर व उनके समकालीन कुछ गायकों पर आरोप लगता रहा है कि आप लोगों ने दूसरे गायकों को उभरने नहीं दिया? इस पर आशा भोसले ने कहा, ‘हम अपने समय में किसी पर भी अंकुश नहीं लगाते थे. हमारे दौर में लता मंगेशकर या किशोर कुमार या मो.रफी जैसे दूसरे गायक नहीं थे. आज भी नहीं है. किसी के पास वैसी आवाज नहीं है. किसी के पास उनके जैसा दिमाग भी नहीं है कि वह कुछ सीख सके. हम गीत व संगीत दोनों में सुधार करते थे. पर आज तो लोग दूसरे का गाना सुनकर उसकी नकल करते हैं. हम लोग गाना सुनने के बाद सोचते थे कि अब इसमें नया क्या कर सकते हैं. आज कल के गायक तो संगीत को छोड़िए सही उच्चारण करना भी नहीं सीखना चाहते.’

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