मशहूर फिल्मकार मणि रत्नम की खोज माने जाने वाले अभिनेता अरविंद स्वामी तमिल फिल्मों के स्टार कलाकार है. लगभग 25 साल पहले मणि रत्नम निर्देशित तमिल फिल्म ‘‘थलपथी’’ के साथ ही मणि रत्नम निर्देशित हिंदी फिल्म ‘‘रोजा’’ में भी अरविंद स्वामी ने अभिनय किया था. उसके बाद वह दक्षिण भारत में तमिल, तेलगू व मलयालम फिल्मों में अभिनय करते रहे. फिर वह 1998 में हिंदी फिल्म ‘‘सात रंग के सपने’’ तथा 2000 में ‘‘राजा को रानी से प्यार हो गया’’ में भी नजर आए थे. लेकिन उसके बाद वह हिंदी फिल्मों में नजर नहीं आए.

अब पूरे 16 साल बाद वह नवोदित फिल्मकार तनुज भ्रमर की हिंदी फिल्म ‘‘डिअर डैड’’ में नजर आने वाले हैं, जो कि हिंदी के साथ साथ तमिल भाषा में भी बनी है. 16 साल बाद हिंदी फिल्म ‘‘डिअर डैड’’ में अरविंद स्वामी के अभिनय करने की मूल वजह फिल्म की पटकथा है. वैसे 2000 के बाद अरविंद स्वामी अभिनय के साथ साथ व्यापार भी करने लगे थे. 2006 में उनका एक्सीडेंट भी हुआ था. जिसके चलते पिछले 16 साल के दौरान अरविंद स्वामी ने सिर्फ चार तमिल फिल्मों में ही अभिनय किया था.

फिल्म ‘‘डिअर डैड’’ की कथा पिता पुत्र के इर्द गिर्द घूमती है. यह कहानी है 45 वर्षीय नितिन स्वामीनाथन (अरविंद स्वामी) और उनके 14 वर्षीय बेटे शिवम की. पिता पुत्र अपने दिल्ली के घर से मसूरी के लिए सड़क के रास्ते रवाना होते हैं. मसूरी में शिवम का बोर्डिंग स्कूल है. रास्ते में इन्हे किस मोड़ से गुजरना पड़ता है और इस यात्रा के दारान पिता पुत्र के बीच जो बाते होती हैं, वह सब दर्शकों को रोमांचित करने वाला होगा. फिल्म ‘डिअर डैड’ में अभिनय करने की चर्चा चलने पर अरविंद स्वामी कहते हैं-‘‘इस तरह की कहानियां कही जानी चाहिए और इस तरह की फिल्मों को बढ़ावा मिलना चाहिए. इसीलिए मैंने इस फिल्म में अभिनय किया है.’’

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