दिल्ली से उत्तराखंड की दूरी महज 200 किलोमीटर है. इसी वजह से दिल्ली की केंद्र सरकार का यहां जल्दी असर होता है. पूरे देश में प्रचंड बहुमत से लोकसभा चुनाव जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड में 3 माह के अंदर अपनी चमक खोनी शुरू कर दी है. 21 जुलाई, 2014 को उत्तराखंड की 3 विधानसभा सीटों धारचूला, डोईवाला और सोमेश्वर उपचुनाव के नतीजे 25 जुलाई को आए. नतीजे देख कर सभी हैरान रह गए. विधानसभा चुनाव में भाजपा को एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई. पिथौरागढ़ जिले की धारचूला सीट से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत उम्मीदवार थे. हरीश रावत ने 20 हजार से अधिक मतों से चुनाव जीत कर अपनी कुर?सी की ताकत का एहसास करा दिया. भाजपा के बी डी जोशी को यहां हार का मुंह देखना पड़ा. बी डी जोशी को केवल 10 हजार के करीब वोट ही मिल सके.

धारचूला सीट पर पहले भी कांग्रेस का कब्जा था. कांग्रेस के विधायक हरीश धामी ने यह सीट मुख्यमंत्री हरीश रावत के लिए छोड़ी थी. हरीश रावत राज्यसभा के सदस्य थे. मुख्यमंत्री बनने के बाद 6 माह के अंदर उन को विधायक बनना था. कांग्रेस ने देहरादून जिले की डोईवाला व अल्मोड़ा जिले की सोमेश्वर सीट भाजपा के कब्जे से छीन ली है. इन दोनों ही सीटों पर लोकसभा चुनावों में भाजपा को भारी बढ़त मिली थी. सोमेश्वर सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ी रेखा आर्य ने भाजपा के मोहनराम आर्य को 10 हजार वोटों से पराजित किया. डोईवाला सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी हीरा सिंह बिष्ट ने भाजपा के राष्ट्रीय सचिव व पूर्व मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पराजित किया. देहरादून जिले की डोईवाला सीट भाजपा विधायक डा. रमेश पोखरियाल निशंक और अल्मोड़ा जिले की सोमेश्वर सीट अजय टम्टा के सांसद बनने के बाद खाली हुई थी. डा. रमेश पोखरियाल हरिद्वार और अजय टम्टा अल्मोड़ा लोकसभा सीट से संसद सदस्य चुने गए थे. उत्तराखंड उपचुनाव के नतीजे 2 तरह से कांग्रेस के लिए खुशियां ले कर आए हैं.

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