उत्तर प्रदेश में विधसानसभा चुनाव आने का समय बाकी है. खुद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कह चुके हैं कि 250 से 300 दिन बाकी हैं. उत्तर प्रदेश की सरकार में नाक का बाल बने कुछ अफसर चुनाव बाद के परिणाम का अंदाजा लगाकर पलटी मारने की कोशिश करने लगे है. अफसरों की माने तो विधनसभा चुनाव के बाद प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी और भारतीय जनता पार्टी का पलडा भारी है. कयास इस बात के भी लगाये जा रहे है कि भाजपा और बसपा चुनाव बाद एकजुट को सरकार बना सकते हैं. कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा नेता मायावती ने कहा था कि उनकी सरकार आने पर अखिलेश सरकार के कामों के भ्रष्टाचार की जांच की जायेगी. इसके बाद अफसरशाही बेचैन हो गई है. सबसे ज्यादा चिंता टौप ब्यूरोक्रेट्स की है. जो इस सरकार के फैसलों में भागीदार रहे है. तमाम अफसर मायावती के साथ अपने सपंर्को का नवीनीकरण करने में जुट गये हैं.

मायावती की अपेक्षा भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से ऐसे अफसरों का मिलना सरल होता है. भाजपा नेताओं के पास ऐसे कई रिटायर अफसर पहले से जुडे है. यह रिटायर अफसर इन नये अफसरों के बीच सेतू का काम कर रहे हैं. भाजपा नेता लालजी टंडन की पौत्री की लखनऊ में शादी थी. इसमें बहुत सारे प्रमुख नेताओं और अफसरों को न्यौता दिया गया था. प्रदेश सरकार के कई आला अफसर इस शादी के बहाने भाजपा नेताओं से करीबी बनाते देखे गये. यह अफसर जानते है कि नेताओं से संबंध रख कर नई सरकार में पेशबंदी करनी सरल हो जायेगी. मौका शादी का था उसमें जाने पर कोई बुराई भी नहीं थी. इसलिये अफसरों को इससे बेहतर मौका और कोई समझ नहीं आया. पिछले 20 सालों से उत्तर प्रदेश की नौकरशाही एक तरह से राजनीतिक चोला ओढ चुकी है. आम जनता तक जानती है कि किस सरकार में कौन प्रभावी अफसर होगा और कौन हाशिये पर चला जायेगा.

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