उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिये कांग्रेस ने जब घोषणापत्र जारी किया तो युवाओं और महिलाओं की जोरशोर से बात की. घोषणा पत्र जारी करने वालों में युवा तो कोई था ही नहीं और महिला के नाम पर दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ही मौजूद थी. 125 साल पुरानी कांग्रेस में युवा नेताओं को उपर आने नहीं दिया जा रहा. यही नहीं इन नेताओं में ज्यादातर उत्तर प्रदेश के बाहर के हैं. जिनका उत्तर प्रदेश से कोई भावनात्मक लगाव नहीं है. ऐसे में यह लोग लोकल युवा नेताओं को मंच तक पहुंचने ही नहीं देते. एक नजर डालिये घोषणाप़त्र जारी करने वाले इन नेताओं और उनकी उम्र पर.

एक तरफ नजर डाले तो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उत्तर प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर, प्रभारी गुलाम नबी आजाद, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद, पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी खडे दिखते है. आधे से अधिक नेता ऐसे है जो उत्तर प्रदेश के लिये बाहरी है.

असल में यह नेता उत्तर प्रदेश की जनता से कम और कांग्रेस हाई कमान के ज्यादा नजदीक है. यह युवा कर्मठ और जमीनी स्तर के नेताओं को कांग्रेस हाई कमान से दूर रखना चाहते हैं. कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में युवाओं, महिलाओं और मजदूरों की बात की है. घोषणापत्र को जारी करते समय मंच पर ऐसे लोग दिखते तो जनता को उम्मीद होती कि चुनाव के बाद कांग्रेस इन लोगों की तरक्की के लिये काम करेगी. इसके अभाव में घोषणापत्र महज एक दिखावा बन कर रह गया. इस पर भरोसा करने को कोई तैयार नहीं है. घोषणापत्र को हिन्दी, उर्दू और अंग्रेजी में जारी किया गया. घोषणापत्र के जारी करने के बाद वहा मौजूद कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने कहा कि पार्टी में केवल उम्र दराज लोगों के मंच पर होने से यह संदेश जाता है कि पार्टी में नये चेहरों का अभाव है.

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