जीएसटी यानि गुड्स एंड सर्विस टैक्स की बात कर जनता को टैक्स से राहत देने की बात करने वाली केन्द्र सरकार अब नोट पर टैक्स लगाने की तैयारी में है. सरकार इस बहाने कैशलेश सिस्टम को बढ़ाने की बात कर रही है. अगर सरकार की मंशा केवल कैशलेश को बढ़ाना भर है तो उसे कैशलेस खरीददारी को हर तरह के टैक्स से मुक्त कर देना चाहिये. आज भी डेबिट कार्ड क्रेडिट कार्ड से पेट्रोल लेने पर अलग से पैसा लिया जाता है. इसी तरह स्वाइप मशीन और रेलवे टिकट कार्ड से बुक कराने पर अलग से पैसा कट रहा है.

सरकार के तमाम दावों के बाद कैशलेस ट्रांजेक्शन करने पर अलग टैक्स देना पड़ रहा है. अगर कैशलेस को बढ़ावा देना है तो ऐसे ट्रांजेक्शन पर दूसरे टैक्स बंद किये जाये. सरकार इससे उलट अब कैशलेश को बढ़ावा देने के लिये नोट पर टैक्स लगाने का विचार कर रही है. सरकार का यह नियम बनाने जा रही है कि अगर आप दिन में एटीएम से 15 हजार से अधिक और बचत खाते से 50 हजार से अधिक का कैश पैसा निकालेंगे तो इस पर फीस लेगी. सरकार ने बड़ी होशियारी से इसे फीस का नाम नहीं दिया है. इसे रखरखाव शुल्क का नाम दिया जा रहा है.

वित्त मंत्री अरूण जेटली कहते हैं नकदी के बजाय डिजिटल लेनदेन अपनाने से छोटे कारोबारियों की देनदारी में 46 फीसदी तक की कमी आयेगी. इससे कारोबारियों को लाभ होगा. वित्त मंत्री ने कहा कि अगर बैंक के जरीये कारोबार का लेनदेन होता है तो 66 लाख रुपये तक के सालाना कारोबार करने वालों को धारा 80 सी के तहत देनदारी शन्यू होगी. डिजिटल को प्रमोशन देने वालों को इससे पहले भी 30 फीसदी लाभ देने की बात कही गई थी.

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