नर्मदा के तट पर ब्रह्मज्ञान विकसित हुआ है, नर्मदा का स्मरण किए बिना देश भर में पूजा नहीं होती, उस नर्मदा की जन्म भूमि मध्य प्रदेश को मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बेहद सुंदर बनाया है, इनके द्वारा चलाई गई नर्मदा यात्रा प्रशंसनीय है. यह काम इन्होंने बेहद चालाकी से किया, राजनीति में रहते हुये धर्म का काम अपने हाथ मे ले लिया और इसे जन आंदोलन बना दिया. जिस तरह आदि शंकराचार्य ने भारत के चारों अविकसित कोनों को विकसित करने का काम किया वही राजनीति में रहते शिवराज सिंह कर रहे हैं.

कानों को सुख और मस्तिष्क को शीतलता देने बाले ये उद्गार आर्ट ऑफ लिविंग के मुखिया श्री श्री रविशंकर ने भोपाल के टी टी नगर दशहरा मैदान में आयोजित फागोत्सव और महासत्संग में व्यक्त किए तो उपस्थित जन समुदाय जिसमें आम कम खास लोग ज्यादा थे भाव विभोर हो उठा. मारे आनंदातिरेक के जन समूह के नेत्रों से अश्रुधारा नहीं बही तो यह उसकी व्यावहारिकता नहीं बल्कि बेशर्मी, नास्तिकता और अनास्था ही मानी जानी चाहिए. इस खर्चीले और गैर जरूरी आयोजन के अपने अलग धार्मिक और राजनैतिक माने थे. अपनी धार्मिक आस्था को सार्वजनिक रूप से नर्मदा यात्रा के जरिये बड़े पैमाने पर व्यक्त करने उतारू हो आए शिवराज सिंह चौहान की तुलना अपनी बातों में चाटुकारिता का शहद लपेटते रविशंकर ने कहीं तो इस बात की पुष्टि आम लोगों ने कर ली कि दरअसल में नर्मदा यात्रा एक धार्मिक यात्रा ही है बाकी नशा मुक्ति,  प्रदूषण बगैरह के पुछल्ले तो यूं ही इसमें जड़ दिये गए हैं जिससे कोई उन पर धर्म प्रचार का खुला आरोप न लगाए.

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