आरएसएस का पोशाक बदलने का फैसला उसका व्यक्तिगत या संस्थागत फैसला है, जिस पर एक दिलचस्प खुलासा आरजेडी मुखिया लालू यादव ने यह कहते किया है कि ऐसा उनकी पत्नी राबड़ी देवी के एक आक्रामक और तर्क पूर्ण बयान के चलते हुआ. हुआ इतना था कि इसी साल जनवरी के महीने मे राबड़ी देवी ने संघ पर निशाना साधते कहा था कि यह कैसा संगठन है, जिसमे बुढ़े यानि उम्र दराज लोगों को भी हाफ पैंट पहनना पड़ती है, क्या इससे उन्हे सार्वजनिक स्थानों पर जाने मे शर्म महसूस नहीं होती?

हालांकि संघ मे ड्रेस बदलने की कवायद लम्बे वक्त से चल रही थी, लेकिन राबड़ी के ताने ने उसे जल्द फैसला लेने मजबूर कर दिया. संघ के इस फैसले मे रहस्य या हिंदुत्व ढूँढ़ रहे लोगों की उत्सुकता ख़त्म हो जानी चाहिये और महाभारत का दुर्योधन वध का प्रसंग याद कर तसल्ली कर लेना चहिये जिसमे उसका पूरा शरीर वज्र का नहीं हो पाया था, क्योंकि मारे शर्म के वह अधोवस्त्र पहने रहा था. तब भी वजह एक महिला थी और अब लालू की माने तो ड्रेस बदलने के चर्चित मामले का श्रेय उनकी पत्नी को जाता है.

ड्रेस कोड़ हर कभी तय होता रहता है, पर उम्र के चलते बुजुर्गों को इससे छूट मिली हुई थी, लेकिन राबड़ी के कहने पर आरएसएस को शर्म आई, यह कहना ज़रूर अतिशयोक्ति और आत्म मुग्धता बाली वात है. तय है अगर लालू को अहसास होता कि संघ उनकी पत्नी को इतनी गम्भीरता से लेगा, तो वे बजाय ड्रेस के मानसिकता बदलने पर कटाक्ष करवाते.

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