भारतीय जनता पार्टी के जमेजमाए नेता अरुण जेटली पर बेबात में, अमृतसर लोकसभाई सीट हारने के कारण, धब्बा लग गया है. वैसे वे राज्यसभा के सदस्य हैं पर उन की जो धूम लोकसभाई सीट जीतने पर होती, वह शायद अब न रहे.

भारतीय जनता पार्टी को लालकृष्ण आडवाणी, यशवंत सिन्हा, सुषमा स्वराज, मुरली मनोहर जोशी आदि से भी निबटना होगा क्योंकि ये सब नरेंद्र मोदी के केंद्रीय क्षितिज पर आने से पहले बराबर के वरिष्ठ नेता थे. अब इन सब को नरेंद्र मोदी को नेता मानना होगा जो आसान नहीं है. ये नेता खुद के प्रधानमंत्री बनने का सपना देखते रहे हैं पर पार्टी को मिले बहुमत के चलते इन का मुंह बंद हो गया है.

राजनीति में जोखिम लेना ही पड़ता है. लगभग सभी देशों में सब से बड़ा नेता हमेशा तैयार रहता है कि न जाने कब क्या हो और उसे विदा कर दिया जाए. इन नेताओं को यह समझना होगा कि वे अरुण जेटली की तरह हारे तो नहीं पर अब हवा के रुख को बदलने की उन की हैसियत नहीं रह गई.

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