पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी अच्छे पत्रकार भी रहे हैं जिन का पंजीकरण अब घोषित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दुखी नेताओं की सूची में हो गया है. बकौल शौरी, मोदी एक अहंकारी और निरंकुश पीएम हैं जो नेताओं को पेपर नैपकिन की तरह इस्तेमाल करते हैं और डस्टबिन में डाल देते हैं. पेपर नैपकिन एक निहायत ही पतला कागज होता है जिस का चलन देश में बहुत ज्यादा पुराना नहीं है. शौरी चूंकि लेखन से जुड़े हुए हैं, इसलिए मोदी निंदा के लिए उन्होंने यह अद्भुत कल्पना की. शायद तुलना करते वक्त पेपर नैपकिन ही उन के आसपास रहा होगा. इस उपमा का दूसरा पहलू यह भी है कि भारत के नेता ही पेपर नैपकिन सरीखे कमजोर हो चले हैं जो पहले तौलिये व गमछे जैसे मजबूत होते थे. बहरहाल, मोदी ने शौरी को मंत्री नहीं बनाया था तो भड़ास आज नहीं तो कल निकलनी ही थी.

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