जनता दल (यूनाइटेड) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव की अध्यक्ष पद की कुरसी अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ले ली है. जाहिर है, बदलाव की बयार और बूढ़ों की विदाई का प्रोग्राम हर दल में चल रहा है. लंबी सियासी पारी खेल चुके शरद यादव अब फुरसत में हैं और देशभर में घूमघूम कर अपनी पार्टी को मजबूती देने में जुट गए हैं. बीते दिनों शरद यादव भोपाल आए, तो खासा जोश में थे. इस की एक वजह यह भी है कि राजनीति की शुरुआत उन्होंने यहीं से की थी. जयप्रकाश नारायण ने उन्हें एकजुट विपक्ष की ओर से जबलपुर लोकसभा का उपचुनाव लड़वाया था, जिस में वे जीते थे, तो कांग्रेस को उखाड़ फेंकने का यह प्रयोग कामयाब रहा था.

अब उन की कोशिश यह है कि भाजपा को उखाड़ फेंकने में सभी पार्टियां एकजुट हो जाएं, तभी साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कामयाबी मिल पाएगी. लेकिन दिक्कत यह है कि जद (यू) का असर बिहार तक ही सिमटा है और अब सपाबसपा जैसी उस के बराबर की कई पार्टियां वजूद में हैं, जिन का किसी एक नेता के नाम पर राजी होना मुश्किल दिख रहा है.

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