सच में बदल गए हैं लालू यादव! कभी बाबाओं, ज्योतिषियों, संतो और तांत्रिकों से घिरे रहने वाले लालू यादव को अब बाबाओं की असलियत समझ में आ गई हैं. चारा घोटाले में फंसने के बाद वह ‘सेटेलाइट बाबा’ के चक्कर में खूब फंसे थे. उस ठग बाबा ने लालू का आशीर्वाद पाकर अपना धंधा तो चमका लिया, पर उस बाबा का आशीर्वाद लालू के काम नहीं आया और उन्हें चारा घोटाला के मामले में जेल जाना ही पड़ा था. अब लालू में यह हिम्मत आ गई है कि धर्म की दुकान चलाने वाले ठग बाबाओं को खुले आम ठग कह सकें. बाबा रामदेव, रविशंकर और आसाराम जैसे बाबाओं पर उन्होंने जम कर तीर चलाया.

डाक्टर भीमराव अंबेडकर की 125 जयंती के मौके पर राजद कार्यालय में आयोजित जलसे में लालू अपनी रौ में दिखे और कुछ बदले-बदले भी नजर आए. राजद सुप्रीमो लालू ने बाबा रामदेव, रविशंकर, आसाराम सहित तथाकथित धर्मगुरूओं पर निशाना साधते हुए कहा कि साजिश के तहत धर्म को बढ़ावा दिया जा रहा है. बाबा रामदेव खुद को संत और योग गुरू कहते हैं, पर वह आज सबसे बड़े उद्योगपति और पूंजीपति बने बैठे हैं. उनसे बड़ा मौकापरस्त तो चिराग लेकर ढूंढने पर भी नहीं मिलेगा. जब उत्तर प्रदेश में उन्हें अपना योग और जड़ी-बूटियों की दुकान चलानी थी, तो वह मुलायम सिंह यादव के गुण गाते नहीं थकते थे और आज अपना उद्योग चलाने और फैलाने के लिए नरेंद्र मोदी की गोद में जा बैठे हैं. ऐसा आदमी बाबा कैसे हो सकता है?

उन्होंने कहा कि एक संत है रविशंकर. वह कहते हैं कि जो देश से प्यार नहीं करता है, उसे देश छोड़ कर बाहर चले जाना चाहिए. लालू ने रविशंकर से सवाल पूछा है कि वह किस आधार पर रट लगा रहे हैं कि कुछ लोग देश से प्यार नहीं करते हैं? आखिर उनके देशप्रेम का मापदंड क्या है? जो भाजपा और आरएसएस के खिलाफ बोले वह देशद्रोही हो जाता है क्या? लालू साफ लहजे में कहते हैं कि ऐसे बाबा और संत धर्म के नाम पर लोगों को उल्लू बना रहे हैं और अपना उल्लू सीधा कर करोड़ों-अरबों रूपये की धर्म की दुकानें चला रहे हैं. समाजसेबी प्रभात कुमार कहते हैं कि लालू की सोच, समझ, और सियासत में बदलाव का असर दलित, पिछड़ी और अल्पसंख्यक राजनीति पर भी पड़ेगा. इससे दलितों-अल्पसंख्यकों की सही तरक्की होने के संकेत मिलते हैं. 10 साल के पहले के और आज के लालू यादव में जमीन-आसमान का फर्क दिख रहा हैं.

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