कुंभ मेले की रेलमपेल में नदी में शुभमुहूर्त में डुबकी लगा पाना वाकई जोखिम वाला, रोमांचक और चुनौती भरा काम है. इसीलिए इस पुण्य को लूटने व मोक्ष पाने के लिए करोड़ों श्रद्धालु जिंदगी दांव पर लगाने को तैयार रहते हैं क्योंकि वह नश्वर होती है. लेकिन उज्जैन में होने जा रहे सिंहस्थ को ले कर जाने क्यों साध्वी उमा भारती का मूड उखड़ा हुआ है. उन्होंने घोषणा कर दी है कि वे कुंभ में नहीं जाएंगी. अब निकालने वाले तरहतरह के मतलब निकाल रहे हैं जिन में से पहला यह है कि शिवराज को यह कमजोर करने का तरीका है. एक मतलब यह भी निकाला जा रहा है कि क्षिप्रा नदी गंदी है जो उमा के डुबकी लगाने लायक नहीं है. पर यह ज्यादा अहम है कि वे दरअसल कुंभ के सियासी अखाड़े की सियासत का हिस्सा नहीं बनना चाहतीं.

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