उत्तर प्रदेश में दलितों की लड़ाई लड़ने का दावा कई दल कर रहे हैं. देखने वाली बात यह है कि बहुजन समाज पार्टी से अलग होने के बाद भी यह दल एकजुट होकर एक मंच पर नहीं आ रहे हैं. बसपा नेता मायावती पर करीब करीब एक जैसे आरोप लगाने वाले दलित नेता आर के चौधरी और स्वामी प्रसाद मौर्य अपने अलग अलग दल बनाकर दलितों के भले की बात करने का दावा कर रहे हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य ने लोकतांत्रिक बहुजन मंच और आरके चौधरी ने बीएस-4 नाम से अपने अपने दल बनाये हैं.

यह दोनो ही नेता बसपा के पुराने नेता हैं. इनकी सोच दलितों के भले की है. यह दलितों की भलाई के काम भी करना चाहते हैं. बसपा से अलग होकर इनके पास यही रास्ता बचा है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने जब बसपा छोड़ी तो यह बात उठी कि वह सपा, कांग्रेस या भाजपा में जा सकते हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनी अलग राह चुनते हुये नई पार्टी का गठन किया है. अपनी पार्टी के प्रचार प्रसार के लिये वह बहुत सारी रैलियों और चुनावी दौरों की घोषणा भी कर चुके हैं.

स्वामी प्रसाद मौर्य की राह पर ही चलते हुये आरके चौधरी ने भी अपनी अलग पार्टी बनाई और रैली का ऐलान किया. आरके चौधरी पहले भी अपनी पार्टी बीएस-4 बना चुके थे. जब वह पहली बार बसपा से अलग हुये थे. इस बार आरके चौधरी ने अपनी रैली में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बुलाया है. आरके चौधरी और स्वामी प्रसाद मौर्य एक जैसे काम करने के बाद के बाद भी एक मंच पर एकत्र नहीं हो पा रहे हैं. बात केवल आरके चौधरी और स्वामी प्रसाद मौर्य की नहीं है. दलितों की अगुवाई करने वाले बहुत सारे नेता एक जैसी सोच रखने के बाद भी एकजुट नहीं हो पा रहे हैं. पूरे देश में यही हालात हैं.

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