पुरानी कहावत है- ‘बिना आग के धुआं नहीं होता’. भारतीय जनता पार्टी को केंद्र की सत्ता में आए 100 दिन भी पूरे नहीं हुए थे कि उस के बडे़ नेताओं के खिलाफ अफवाहों का तूफान आ गया. अफवाहें भी ऐसी कि देश के प्रधानमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को सामने आ कर सफाई देनी पड़ी. भाजपा कह रही है कि ये अफवाहें बेबुनियाद हैं. विरोधी दलों का कहना है कि भाजपा सत्ता में है, उसे अपने खिलाफ अफवाहें उड़ाने वाले का पता लगा कर दूध का दूध और पानी का पानी सामने कर देना चाहिए. भाजपा की हालत सांपछछूंदर वाली हो गई है. उसे न तो अफवाहों को उगलते बन रहा है न निगलते.  उलझे

देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बारे में यह कहा जाता है कि उन का आत्मविश्वास कभी कमजोर नहीं पड़ता है. इस की अपनी वजह भी है. उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के भभौरा गांव में पैदा हुए राजनाथ सिंह स्कू लटीचर थे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ कर वे उत्तर प्रदेश में मंत्री से ले कर मुख्यमंत्री तक की कुरसी पर पहुंच गए. भाजपा के संगठन में हर बडे़ पद पर वे आसीन रहे.

एक समय भाजपा में उन का नाम प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए भी सब से आगे चल रहा था. 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत मिला तो उन को प्रधानमंत्री के बाद की सब से ताकतवर मानी जाने वाली गृहमंत्री की कुरसी दी गई. 

भाजपा की सोच रही है कि गृहमंत्री के पद पर लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल जैसा नेता बैठना चाहिए. जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे तो लालकृष्ण आडवाणी को गृहमंत्री की कुरसी दी गई थी. नरेंद्र मोदी की अगुआई में भाजपा ने केंद्र में अपनी सरकार बनाई तो राजनाथ सिंह को गृहमंत्री बनने का मौका दिया गया. राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद पद और गोपनीयता की शपथ ली. 

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