राहुल गांधी के तमाम प्रयासों के बाद उत्तर प्रदेश में कांग्रेस संगठन कितना सक्रिय है विधानसभा चुनाव में इसकी पोल प्रत्याशियों के टिकट वितरण में खुल कर सामने आ गई. कांग्रेस के लिये पूरे उत्तर प्रदेश में 105 सीटों पर अपने प्रत्याशियों का चयन मुश्किल काम हो गया. सवाल उठाता है कि अगर कांग्रेस को सभी 402 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ना होता तो पार्टी कैसे प्रत्याशी खड़े कर पाती.

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-सपा का गठबंधन चुनाव लड़ रहा है. कांग्रेस के हिस्से में 105 विधानसभा की सीटें आई है. वैसे तो कांग्रेस इतनी पुरानी पार्टी है कि उसके लिये यह कोई मुश्किल काम नहीं था. कांग्रेस प्रदेश कार्यालय, केन्द्रीय संगठन और चुनाव संचालन में लगे नेताओं के बीच आपस में किसी तरह का संवाद नजर नहीं आया. जिसकी वजह से कांग्रेस कई सीटों पर अपने प्रत्याशी समय से तय नहीं कर पाई तो सपा को अपना प्रत्याशी संयुक्त उम्मीदवार के रूप मे चुनाव में उतारना पड़ा.

प्रदेश की राजधानी लखनऊ पूर्वी विधानसभा की सीट इसकी सबसे प्रमुख उदाहरण है. लखनऊ में कांग्रेस ने 2012 के विधानसभा चुनाव में कैंट विधानसभा की सीट जीती थी. यहां से कांग्रेस की विधायक रीता बहुगुणा जोशी दलबदल कर भाजपा के टिकट से चुनाव मैदान में हैं. सपा ने इस सीट से मुलायम सिह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव को टिकट दे दिया. सपा ने इस सीट के बदले कांग्रेस को लखनऊ पूर्वी की सीट दे दी. चुनाव आयोग में सपा-कांग्रेस गठबंधन ने यह बता भी दिया कि लखनऊ पूर्वी से कांग्रेस अपना प्रत्याशी उतारेगी. नामांकन के आखिरी समय तक कांग्रेस के पास इस सीट से लड़ने के लिये कोई नाम सामने नहीं था. यह जानकारी जब सपा नेता और प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पता चली तो उन्होंने सपा के नेता अनुराग भदौरिया को यहां से चुनाव लड़ने के लिये कहा.

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