सरकारों के लिये जरूरी नहीं है कि वह जनता की जेब पर सीधे हमला करें. कई बार छिपे रास्तों से भी जनता की जेब से पैसा निकाल लिया जाता है. रेल मंत्री सुरेश प्रभु कुछ ऐसे ही टिप्स तलाश कर लगातार ला रहे है. जिससे जनता को पहली जैसी सुविधाओं के लिये ज्यादा पैसे ढीले करने पड रहे हैं. टिकट कैंसिल कराने के नये नियमों के तहत यात्रियों की परेशानियां बढ गई है. अब ट्रेन जाने के पहले ही टिकट कैंसिल कराना होगा. अगर आप ने पहले टिकट कैंसिल नही कराया तों आपको टिकट राशि का बडा हिस्सा कट जायेगा.

प्लेटफार्म टिकट 5 रूपये से बढाकर 10 रूपये कर दिया गया. पहले प्लेटफार्म टिकट 4 घंटे तक मान्य रहता था, अब यह घटकर 2 घंटे कर दिया गया है. मतलब की पैसा दोगुना हो गया और सुविध आधी कर दी गई. यही नहीं पहले आरक्षित सीटों के लिये बच्चों का पूरा टिकट नहीं पडता था, अब बच्चों का भी पूरा टिकट लेना पडेगा. इस तरह की तमाम छोटे छोटे टिप्स रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने अपने पिटारे से निकाल दिये हें, जिससे यात्रियों की जेब को हल्का किया जा सके.

परेशानी की बात यह है कि सुविधा के नाम पर ट्रेनों में कोई सुधार नहीं हुआ है. आरक्षित डिब्बों में वेंटिग टिकट पर सवारी करने वालों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है. जिससे आरक्षित डिब्बों में सफर करना जनरल डिब्बों सा ही हो गया है. ट्रेन में मिलने वाले खाने का दाम बढ गया है. उसकी क्वालिटी में कोई सुधार नहीं हुआ है. ट्रेनों में बाहरी लोग अभी भी खाद्य सामाग्री और गुटका पान मसाला बेचते मिलते हैं. ट्रेन के आने जाने के समय और सुरक्षा साफ सपफाई में कोई बदलाव नजर नहीं आ रहा है. मुम्बई जाने वाली ट्रेनों में किन्नरों का आतंक पहले की ही तरह बना हुआ है. पहले यह लोग जनरल डिब्बों में यात्रा करने वालों से वसूली करते थे, अब एसी और स्लीपर क्लास में यात्रा करने वाले भी इनका शिकार होते हैं. ट्रेनों में सामान चोरी की घटनाओं पर कोई रोकथाम के उपाय नहीं किये जा सके है.

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