महिला दिवस के 2 दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर की महिला सांसदों को संबोधित करते वाकई धुआंधार भाषण दिया जिस का सार यह था कि महिलाएं तो खुद अपनेआप में सशक्त हैं, पुरुष होते कौन हैं उन्हें सशक्त बनाने वाले. भाषण में मांओं के योगदान का जिक्र करना मोदी नहीं भूले लेकिन पत्नियों के योगदान पर वे कन्नी काट गए. यह परेशानी हमेशा नरेंद्र मोदी के साथ रहेगी क्योंकि उन्होंने अपनी पत्नी यशोदा बेन का त्याग कर रखा है. इस किस्म के त्यागों को महिमामंडित करते रामचरित मानस में तुलसीदास ने एक दोहे में स्त्री की दुनिया और महत्ता समेट कर रख दी है कि ‘जिय बिन देह, नदी बिन वारी....’ अब यह तो वे कह नहीं सकते थे कि बगैर पुरुष के ही नारी खुद को सशक्त बनाती है लेकिन जानेअनजाने अपनी ग्लानि को दबाते उन्होंने पत्नी के पुरुषार्थ की तारीफ कर ही डाली.

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