दलित भारतीय समाज का अभिन्न अंग है. इस वर्ग के विकास को सामने रख कर संविधान बनाया गया था. आजादी के बाद से ही देश में दलित वर्ग के विकास की तमाम योजनाएं भी चलाई गईं. सरकारी नौकरियों से ले कर तमाम दूसरे तरह के आरक्षण भी दिए गए. इस के बाद भी दलित वर्ग का एक बड़ा हिस्सा बराबरी की दौड़ में बहुत पीछे है. केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री रामशंकर कठेरिया दलितों के विकास के लिए बहुत लंबे समय से काम कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में पलेबढे़ रामशंकर कठेरिया ने आगरा को अपनी कर्मभूमि बनाया. एमए और पीएचडी करने के बाद वे आगरा विश्वविद्यालय में पढ़ाने लगे.  साल 2006 में वे राजनीति में आए. आगरा विश्वविद्यालय में प्रोफैसर के रूप में कार्यरत रामशंकर कठेरिया ने 2014 का लोकसभा चुनाव आगरा से लड़ा. चुनाव जीतने के बाद वे केंद्र की मोदी सरकार में मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री बने. पेश हैं बातचीत के खास अंश :

देश के विकास के साथ दलितों का सही ढंग से विकास नहीं हुआ. इस में क्या कमी महसूस करते हैं? 

दलितों के विकास को ले कर सामाजिक परिवर्तन की दिशा में जो काम आजादी के बाद होना चाहिए था वह नहीं हुआ. इस से समाज का एक हिस्सा आगे बढ़ता गया जबकि दूसरा वर्ग पहले से भी खराब हालत में पहुंच गया. दलित समाज को उत्तर प्रदेश में मायावती से बहुत उम्मीदें थीं. केवल दलित ही नहीं, पिछडे़ वर्ग के एक बडे़ हिस्से को भी मायावती से बहुत अपेक्षाएं थीं. उत्तर प्रदेश में लंबे समय तक सरकार चलाने के बाद भी उन्होंने दलितों के सामाजिक और आर्थिक स्तर को सुधारने के लिए कोई काम नहीं किया. विकास की कोई ऐसी योजना नहीं चलाई जिस से दलितों का विकास हो सके. केंद्र के स्तर पर देखें तो कांग्रेस ने यही किया था. इन दलों ने दलितों को केवल वोटबैंक बना कर रखा जिस का कुप्रभाव दलितों के विकास पर पड़ा.

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