उत्तर प्रदेश में भाजपा ने घोषित तौर पर भले ही मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी की घोषणा न की हो, पर जिस तरह से लखनऊ के मेयर डाक्टर दिनेश शर्मा की पहल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लखनऊ के ऐशबाग की रामलीला देखने आ रहे हैं, उससे यह साफ हो गया है कि डाक्टर दिनेश शर्मा की मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पर मुहर लग गई है. मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी के तौर पर डाक्टर दिनेश शर्मा का नाम पहले भी चल रहा था. अब यह बात पक्की हो गई है कि रामलीला के खेल से राजलीला का एजेंडा तय हो गया है. इस रामलीला के बहाने भाजपा लखनऊ को केन्द्र मानकर उत्तर प्रदेश में अपनी चुनावी लीला दिखायेगी. आमतौर पर देश के प्रधानमंत्री दिल्ली में रामलीला में ही रावण दहन करते हैं. वैसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चुनाव क्षेत्र वाराणसी में रामनगर की रामलीला भी विश्व प्रसिद्व है.

अगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिल्ली की रामलीला के बजाय किसी और शहर की रामलीला देखनी थी तो सबसे पहले रामनगर वाराणसी का ख्याल आना चाहिये था. वहां की रामलीला के मुकाबले लखनऊ की रामलीला कोई बहुत खास नहीं होती है. ऐशबाग रामलीला संमिति के सरंक्षक डाक्टर दिनेश शर्मा लखनऊ के मेयर हैं. वह कहते हैं ‘श्रीरामलीला समिति ऐशबाग का निमंत्रण प्रधानमंत्री कार्यालय में स्वीकार हो गया है. मोदी जी पहले प्रधानमंत्री होंगे, जो इसमें शामिल होंगे.’ प्रधानमंत्री के दौरे की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं.

राजनीति के जानकार मानते है कि भाजपा एक बार फिर राम के नाम को आगे कर अपनी धर्म की सियासत को आगे बढायेगी. रामलीला में थीम बदल जायेगा. आतंकवाद को रावण का नाम देकर राष्ट्रवाद से जोड़ा जायेगा. रामलीला के मंच का प्रयोग राजलीला के लिये होगा. प्रधानमंत्री के इस कार्यक्रम में शामिल होने की उम्मीद के बाद से पूरा दृश्य बदल रहा है. ऐशबाग रामलीला समिति के हरीशचन्द्र अग्रवाल कहते हैं रामलीला की थीम 9 अक्टूबर को तय होगी. इस बार रामलीला को भव्य स्वरूप देने का काम तेज कर दिया गया है. इसका स्वरूप वह होगा, जो प्रधानमंत्री के कद को सूट करे. रामलीला में 121 फुट का ऊंचा रावण बनेगा. जिसका दहन प्रधानमंत्री कर सकते हैं.

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