2 जनवरी, 2016. ठिठुरती सुबह के तकरीबन साढ़े 3 बजे थे. पठानकोट एयरबेस में डीएससी की मैस में लाइटें जल रही थीं, जबकि बाकी रिहायशी इलाके में अंधेरे का राज था. मैस में डीएससी के जवान एयरफोर्स के अफसरों व जवानों के लिए नाश्ता तैयार कर रहे थे. कुछ जवान गैस के चूल्हे पर चावल बना रहे थे, तो कुछ गाजर, टमाटर, पनीर, अदरक वगैरह काट रहे थे. अचानक वहां कुछ हलचल हुई. जवानों को कुछ समझ में आता, तब तक वहां कुछ अनजान बंदूकधारी घुस चुके थे. उन के इरादे ठीक नहीं थे, क्योंकि यह एक आतंकी हमला था, जो उन जवानों के लिए कड़ी चुनौती था.

मैस में काम कर रहे जवान जगदीश राज ने फौरन एक आतंकवादी को धर दबोचा और उस से गुत्थमगुत्था हो गए. उन्होंने उस आतंकवादी की राइफल छीनी और उसे गोलियों से भून डाला. इस बीच बौखलाए दूसरे आतंकवादी ने जगदीश राज और उन के साथ रसोईघर में काम कर रहे डीएससी के 4 जवानों पर गोलियां बरसा कर उन्हें शहीद कर डाला. 20 से 30 साल की उम्र के वे आतंकवादी रसोईघर से खानेपीने का सामान बटोर कर चल दिए. एक आतंकवादी के दोनों पैरों की उंगलियां नहीं थीं. एक आतंकवादी ने मूंछें रखी हुई थीं, जबकि बाकी क्लीन शेव थे. उन के पास वौकीटौकी थे, जिन से वे आपस में बातचीत कर रहे थे.

अचानक हुई गोलीबारी से एयरबेस में रैड अलर्ट जारी हो गया और इस के बाद शुरू हुआ आतंकवादियों के खिलाफ ऐसा आपरेशन, जो तकरीबन 100 घंटे तक चला. नैशनल सिक्योरिटी गार्ड, सेना व एयरफोर्स के गरुड़ कमांडो ने इस आपरेशन में एयरबेस कैंप में घुसे आतंकवादियों में से 4 को 24 घंटे में ही मार डाला था, जबकि 5वें और 6ठे आतंकवादियों को मारने में 60 घंटे से भी ज्यादा का समय लग गया था. इस आतंकी हमले में भारतीय सेना का भी काफी नुकसान हुआ. नैशनल सिक्योरिटी गार्ड के लैफ्टिनैंट कर्नल निरंजन पी. कुमार समेत 7 जवान शहीद हुए, जबकि 20 जवान घायल हो गए.

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