लोगों की जेब में नोट की गरमी हो-न हो, मगर संसद का शीत सत्र पूरा गरम है. देशभर में लोगों की लंबी-लंबी कतारों के आगे पैसे उगलने वाली एटीएम मशीनों की सांसें फूल रही हैं, तो बैंकों के प्रवेश द्वार भी भारी भीड़ के आगे लाचार नजर आ रहे हैं. बहरहाल यह तो एक सामान्य परिदृश्य है, मगर असली सवाल यही है कि नोटबंदी अथवा विमुद्रीकरण के बाद से पैदा हुई समस्याएं कैसे सुलझें और आम नागरिकों को राहत मिले. इसमें तो कोई शक नहीं कि पूरी तरह स्थिति के सामान्य होने में अभी कुछ वक्त लगेगा, लेकिन जैसे-जैसे और जिन-जिन रूपों में लोगों को हो रही परेशानियां सामने आ रही हैं, उनके निदान में सरकार और उसकी मशीनरी पूरी तत्परता से लगी हुई है.

यही वजह है कि रबी की खेती और शादी-विवाह के मामले में सामने आई मुश्किलों और शिकायतों के मद्देनजर गुरुवार को सरकार के निर्देश पर बैंकों ने नगदी की निकासी सीमा को बढ़ा दिया है. अब जहां शादी-ब्याह के लिए लोग ढाई लाख रुपए तक बैंकों से निकाल पाएंगे, वहीं खेती के खाद-बीज आदि के लिए किसान अपने खाते से 50 हजार तक एक मुश्त नगदी हासिल कर सकते हैं. सांसत के बीच यह राहत भी कम नहीं है. आखिर कुछ तो सहूलियत मिलेगी.

दूसरी ओर वित्त मंत्री अरुण जेटली के मुताबिक देशभर में अबतक करीब 22 हजार एटीएम मशीनों को सरकार द्वारा जारी दो हजार और पांच सौ के नए नोटों के अनुरूप सुधार लिया गया है यानी इनके जरिए अब नए नोट पाए जा सकेंगे और ये एटीएम मशीनें ज्यादा लोगों को संभाल पाएंगी.

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