अब क्या बाबा रामदेव को इसरो का चेयर मेन बनाया जाएगा, अगर वो निफ़्ट के चेयरमेन बन सकते हैं तो सनी लियोनी को क्रिकेट कोच बना देना चाहिए, सोशल मीडिया पर चल रहे ऐसे दर्जनो तीखे कमेंट्स कोई पेशेवर व्यंगकारों या राजनैतिक विश्लेषकों के नहीं, बल्कि उन आम यूजर्स के हैं जो चेतन चौहान की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फेशन टेक्नालाजी (निफ़्ट) के चेयरमेन पद पर की गई नियुक्ति से आहत और हैरान हैं.

अपने जमाने के मशहूर उद्घाटक बल्लेबाज चेतन चौहान फैशन की ए बी सी डी भी नहीं जानते होंगे, लेकिन निफ़्ट के मुखिया बना दिये गए, तो बात कुछ कुछ गले न उतरने वाली तो है, लेकिन इतना जरूर लोगों को समझ आ गया है कि इन दिनो राज भगवा कांग्रेस का है, जिसमे चुन चुन कर रेवड़ियाँ बांटी जा रही हैं. हमेशा कांग्रेस और सोनिया राहुल को कोसते रहने बाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार चापलूसों और भगवा मानसिकता वाली विभूतियों को पिछले 2 सालों से उपकृत कर रही है.

सबसे बड़ा विवाद पिछले साल उठ खड़ा हुआ था, जब टीवी कलाकार गजेन्द्र चौहान को एफटीआईआई का मुखिया बनाया गया था. छात्रों ने गजेन्द्र को इस पद के नाकाबिल मानते जो लम्बी हड़ताल की थी, उससे सरकार के पसीने छूट गए थे. गजेंद्र की ही तरह चेतन की भी अपनी योग्यताएं हैं, वे दो बार भाजपा से सांसद रहे हैं, जब कुछ महीनो पहले डीडीसीए और दिल्ली सरकार के बीच विवाद छिड़ा था, तब वे वित्त मंत्री अरुण जेटली के बचाव में खुल कर बोले थे. निफ़्ट की ताजपोशी उसी वफादारी का इनाम है.  इत्तफाक से जब चेतन चौहान नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का शुक्रिया अदा कर रहे थे, ठीक उसी वक्त आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन मोदी सरकार से जयराम जी की करते दूसरा कार्यकाल लेने से मना कर रहे थे, क्योंकि उनका बेहद घटिया स्तर पर जाकर विरोध अरुण जेटली और भाजपा सांसद सुब्रमन्यम स्वामी कर चुके थे. ऐसे में जाहिर है कोई काबिल आदमी तो इस सरकार के साथ काम करने से रहा, जिसके फैसले जेटली और स्वामी जैसे `पापुलर ` नेता लेते हैं, जिन्हें वोटर लोकसभा भेजने के काबिल भी नहीं समझता.

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