न्यूक्लियर सप्लाई ग्रुप (एनएसजी) के सदस्य 48 देशों के संगठन में भारत ने अपने पक्ष में हवा बनाने के लिए भले पूरा जोर गला दिया था, लेकिन यह भी कड़वी सच्चाई है कि एनएसजी में भारत की एंट्री को फिलहाल बड़ा धक्का लगा है. सबसे बड़ा रोड़ा चीन बना हुआ है. हमारे प्रधानमंत्री मोदी ने बेशक चीनी प्रधानमंत्री शी जिंगपिंग को उनके भारत दौरे पर खूब झूला झुलाया. लेकिन एनएसजी के मामले में चीन ने भारत को झुला दिया. भारत के लिए सुकून की बात यह रही कि चीन की ओर से लगातार रोड़ा अकटाए जाने के बावजूद एनएसजी में भारत की एंट्री को लेकर तीन घंटे चर्चा हुई. लेकिन चर्चा बेनतीजा ही रहा. इसीलिए इस मुद्दे पर एक बार फिर से इसी साल विचार करने की भी खबर है.

सियोल में हुई एनएसजी के 26वें प्लेनरी ‍‍‍मिटिंग भारत उपस्थित तो नहीं था, लेकिन बैठक में भारत के मित्र और शुभाकांक्षी देशों से प्राप्त हुई जानकारी के हवाले से विदेश मंत्रालय की ओर से एक बयान जारी किया गया, जिसमें साफ तौर कहा गया है कि एनएसजी में नए देशों की एंट्री को लेकर चर्चा हुई और भारत के पक्ष में कई देश सामने आए. इसी समर्थन से भारत को एक उम्मीद की किरण नजर आयी है. जबकि बैठक से बहुत पहले ही चीन ने बार-बार दावा करता रहा कि बैठक में भारत की एंट्री पर अगल से चर्चा नहीं होगी, क्योंकि प्लेनरी ‍मि‍‍टिंग में नए सदस्यों की एंट्री पर कभी चर्चा नहीं होती है. बावजूद इसके ‍सियोल में भारत की एंट्री पर तीन घंटे चर्चा हुई और भारत को कई देशों का समर्थन भी मिला.

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