उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भाजपा की जीत और सरकार बनने से भाजपाई खेमे में खुशी की लहर तो है ही, पर भाजपा से इतर भी एक नेता के मन में लड्डू फूट रहे हैं. वह नेता मंद-मंद मुस्कुरा रहा है. भाजपा की जीत पर वह फिलहाल कुछ बोलने से तो परहेज कर रहा है, लेकिन उसे पता है कि उसके साथी नेताओं और दलों को औकात बताने का समय आ गया है. जी हां! बात नीतीश कुमार की ही हो रही है. भाजपा की जीत पर उनकी मुस्कान कई इंच बढ़ चुकी है.

पिछले कुछ समय से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और महागठबंधन में उनके साथी और ‘बड़े भाई’ लालू यादव के बीच सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है. जदयू के कई नेता दबी जुबान में कहते रहे हैं कि लालू के बढ़ते सियासी दबाब और उलजलूल डिमांड से नीतीश खासे परेशान हैं. भाजपा से दुबारा हाथ मिलाने का धौंस दिखा कर नीतीश अपने सियासी साथी लालू यादव को काबू में रखने का दांव चल सकते हैं.

पिछले दिनों राबड़ी देवी ने अपने बेटे तेजस्वी यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर महागठबंधन के अंदर भी खलबली मचा रखी है. राजद का खेमा पिछले कुछ महीने से उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बनाने की हवा बनाने में लगा हुआ है. राबड़ी देवी ने अपनी बात को बल देने के लिए कह डाला कि राज्य की जनता तेजस्वी को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती है. लालू यादव अब तक इस मसले पर चुप्पी साधे हुए हैं. उन्होंने राबड़ी के बयान पर सफाई देने की जरूरत नहीं समझी.

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