अपनी चर्चित नर्मदा सेवा यात्रा के सौवे दिन मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह ने नया पैंतरा दिखाते बातों ही बातों में नर्मदा कोष की स्थापना कर डाली जिससे श्रद्धालु दान दाता दान देने की अपनी लत पूरी कर सकें. यात्रा के सौवे दिन अपने गृहग्राम जेत में लाखों लोगों की मौजूदगी में शिवराज ने इस कोष की स्थापना की घोषणा की. जेत के धार्मिक शो में शिवराज सिंह ने एक तीर से कई निशाने साधे, जिनमें पहला था अपने बेटे कार्तिकेय सिंह को राजनीति में लांच करना, जिनहोंने जेत में पधारे लाखों लोगों, हजारों अफसरों, सैकड़ों दिग्गज नेताओं और दर्जनों ब्रांडेड बाबाओं का आभार व्यक्त किया.

शो के दूसरे आकर्षण प्रख्यात कथा वाचक मोरारी बापू थे जो फिल्मी गानों की पेरोडी पर भजन गाने के लिए मशहूर हैं. धार्मिक आयोजनों मे तबियत से दान दक्षिणा और चढ़ावा बटोरने बाले मोरारी बापू ने शायद ज़िंदगी में पहली बार दान किया. उन्होंने शिवराज सिंह को आशीर्वाद के साथ साथ ग्यारह हजार रुपये भी भेंट किए तो शिवराज सिंह ने इसे सीड मनी मानते नर्मदा कोष का एलान कर अपना मकसद भी उजागर कर दिया कि जब दान की खाने वाला एक संत भी दान कर सकता है तो आम जनता को तो दिल और जेब खोल कर दान देना चाहिए. यानि नर्मदा यात्रा एक व्यावसायिक इवैंट साबित हो रही है, जिसके जरिये मुख्य मंत्री के एक मुंह लगे नेता की माने तो एक अरब रुपये से कम राशि तो इकट्ठा नहीं की जाएगी.

मालवा इलाके के एक और नामी संत कमल किशोर नागर ने भी नर्मदा के लिए एक करोड़ रुपये की भारी भरकम राशि देने का एलान किया, तो साफ दिख रहा है कि दान दाताओं की भीड़ उमड़ने वाली है. हैरत की बात शुरुआती दान वे दे रहे हैं जो दान लेते हैं. जाहिर है  यह निवेश है, जिसे फसल की शक्ल में ये और दूसरे बाबा लंबे वक्त तक काटेंगे. इधर कुछ बुद्धिजीवी टाइप के लोग शिवराज सिंह के धरम करम के अलग अलग माने निकाल रहे हैं, जिनमे से पहला यह है कि एक धार्मिक यात्रा के लिए क्या सरकार को इस तरह जनता से पैसा इकट्ठा करने का हक है. इस पर भी तुर्रा ये कि कानूनी बचाव और विवादों से बचने नदी संरक्षण और पौधा रोपण की बात कही जा रही है.

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