राजद सुप्रीमो लालू यादव ने गैर भाजपाई दलों को एक झंडे तले लाने के लिए कमर कस ली है. राजगीर में राजद के 3 दिन के प्रशिक्षण शिविर सह राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में लालू ने हुंकार भरी कि अगले अगस्त महीने में पटना के गांधी मैदान में महारैली करेंगे. महारैली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, ओडिसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और सपा नेता अखिलेश यादव समेत गैर भजपाई दलों के सभी नेताओं को न्यौता देंगे. इससे यह साफ हो जाता है कि नीतीश के द्वारा शुरू किए गए गैर भाजपाई दलों को एकजुट करने की मुहिम का झंडा अब लालू यादव ने थाम लिया है.

अपने पिता के सुर में सुर मिलाते हुए उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने समाजवादी दलों को चेताया कि अगर वे अब भी नहीं चेते तो देश उन्हें कभी माफ नहीं करेगा. उन्होंने अपने पिता लालू यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम लिए बगैर कहा कि बिहार के 2 बड़े नेताओं ने अपने ईगो को छोड़ कर राज्यहित और देशहित में महागठबंधन बना कर देश को नई राह दिखाई है. अब देश भर के सभी क्षेत्रीय दलों और समाजवादियों को अपना ईगो छोड़ कर एकजुट होने की दरकार है. उन्होंने दावा किया कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने साथ आने का भरोसा दिया है. नेशनल लेवल पर बने महागठबंधन का नेता कौन होगा, इसके जबाब में तेजस्वी ने कहा कि इस पर बाद में फैसला होगा, पहले सभी दल एक मंच पर आ जाएं.

लालू ने अपने कार्यकर्ताओं को सचेत करते हुए कहा कि अगर अब भी चुप रहे तो भाजपा साजिश के तहत संविधान तक बदल सकती है. सभी धर्मनिरपेक्ष दलों को एकसाथ मिल कर 2019 के आम चुनाव में भाजपा को धूल चटानी है. लालू ने इस बात को बेहद खतरनाक बताया कि नीति आयोग लोकसभा और विधान सभा का चुनाव एक साथ कराने पर जोर दे रही है.

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