राजनीतिक दलों की चुनावी यात्राओं का नाम भले ही रथयात्रा हो, असल में वह आरामदायक कार की यात्रायें हैं. जिसमें सुविधा का हर साजोसामान मौजूद है. रथ यात्राओं के चुनावी उत्सव में नेताओं के आराम का ख्याल रखने का पूरा काम होता है. नेता के समर्थक भी रथयात्रा में पीछे चलने के लिये आरामदायक लग्जरी एसी कारों का प्रयोग कर रहे हैं. 5 साल सत्ता में रहकर सुविधाभोग चुके यह नेता शरीर से इतने कमजोर हो चुके हैं कि यह आरामदायक एसी कार के बिना चल ही नहीं सकते थे. रथ यात्राओं में जुटने वाली भीड़ सड़क पर जाम का कारण बनती है, जिससे जनता परेशान होती है. जबकि नेता एसी गाड़ियों में गरमी में भी ठंडी हवाओं का लुत्फ ले रहे होते हैं. कुछ समय पहले बसपा नेता मायावती की सभा में भीड, उमस और गरमी को शिकार होकर रैली में आने वालों की मौत हो गई थी. इसके बाद भी नेता सबक नहीं ले रहे, भीड़ जमा कर अपनी ताकत दिखाने से बाज नहीं आ रहे.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने समाजवादी विकास रथयात्रा की शुरुआत लखनऊ से उन्नाव तक सफर तय करके की है. इसके लिये 3 नवम्बर को लखनऊ से उन्नाव के मार्ग में पड़ने वाले सभी स्कूलों को बंद कर दिया गया. लखनऊ में पूरे प्रदेश के अखिलेश समर्थक नेता अपनी अपनी गाड़ियों से जुट गये. जिससे लखनऊ से उन्नाव के बीच पूरे रास्ते पर भीषण जाम लग गया. इन रास्तों का प्रयोग करने से जनता बचने लगी. जिसको बहुत जरूरी काम हुआ वहीं घर से निकला. समाजवादी पार्टी में अखिलेश बनाम शिवपाल के खेल में एक दूसरे को ताकत दिखाने की होड़ के बीच जनता पिस रही है. 3 नवम्बर की रथ यात्रा के बाद 5 नवम्बर को समाजवादी पार्टी स्थापना दिवस के रजत जंयती समारोह का आयोजन है. अखिलेश बनाम शिवपाल की जोर आजमाइश में जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी का खेल जारी है.

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