नरेंद्र मोदी की कैबिनेट पर अगले साल उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव की चिन्ता साफ दिख रही है. उत्तर प्रदेश के साथ ही साथ भाजपा पूर्वांचल और खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की संसदीय सीट वाराणसी की सभी विधानसभा सीटे जीतना चाहती है. इसके कारण ही चंदौली के सांसद डाक्टर महेन्द्र नाथ पाडेंय और मिर्जापुर की सांसद अनुप्रिया पटेल को केन्द्र सरकार में शामिल किया है. अनुप्रिया वाराणसी की रोहनियां विधानसभा सीट से 2012 में विधायक भी चुनी गई थी. मोदी के लिये 2014 की सफलता को दोहराने की चुनौती है. 2017 के विधानसभा चुनाव में वह कम से कम वाराणसी की हर सीट जीतना चाहते हैं. 

अनुप्रिया पटेल अपना दल से हैं, जो भाजपा का सहयोगी दल है. अनुप्रिया पटेल युवा, पढा लिखा और पिछडे वर्ग का चेहरा हैं. अनुप्रिया का जन्म 28 अप्रैल 1981 को कानपुर में हुआ था. उनकी शुरुआती पढ़ाई कई शहरों में हुई. दिल्ली के लेडी श्री राम कॉलेज से पढ़ाई के बाद उन्होंने मास्टर इन बिजनेस मैनेजमेंट की डिग्री प्राप्त की है. साल 2009 में उनकी शादी इंजीनियर आशीष सिंह से हुई. शादी के ठीक 12 दिन बाद पिता डॉक्टर सोनेलाल पटेल की अक्टूबर 2009 में सड़क हादसे में मौत हो गई थी.

इसके बाद अनुप्रिया राजनीति में आईं और अपना दल की महासचिव बनीं. अनुप्रिया की कुर्मी वोटों पर अच्छी पकड़ है. इसी कारण लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपना दल से गठबंधन किया था. अपना दल के हालात भी 2014 के मुकाबले अब खराब हुये हैं. अपना दल 2 धडों में बंट गया है. अपना दल पारिवारिक लडाई में फंसा है. एक गुट अनुप्रिया पटेल के साथ है तो दूसरा गुट उनकी मां कृष्णा पटेल और बहन पल्लवी पटेल के साथ है. ऐसे में वह भाजपा की कितनी मदद कर सकेगा देखने वाली बात होगी.

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