बिहार में किसानों और खेती को बचाने के लिए नीलगायों को मारने की पहल पर सियासत शुरू हो गई है. पर्यावरण और जानवरों के हितों की पैरोकार और केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने अपने ही दल और सरकार के पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. बिहार में मोकामा के दियारा इलाकों में नीलगायों के बढ़ते आतंक को रोकने के लिए जब उन्हें मारने की कवायद शुरू की गई, तो उन्होंने कहा कि पता नहीं जानवरों को मारने की कौन सी हवस पैदा हो गई है? अपने साथी मंत्री के आरोपों के जबाब में जावडेकर सफाई देने के लहजे में कहते हैं कि बिहार सरकार ने नीलगायों को मारने की अनुमति मांगी थी और कानून के तहत मंजूरी दी गई है. नीलगायों को मारना केंद्र की कोई योजना नहीं है.

मोकामा के दियारा इलाकों में पिछले कुछ दिनों से नीलगायों को मारने की मुहिम चल रही है और अब तक 300 से ज्यादा नीलगायों को मारा जा चुका है. इसके लिए हैदराबाद के शिकारी नवाब शफाथ अली खान और उनकी टीम को लगाया गया है.

नीलगायों को मारने से मेनका इस कदर खफा हैं कि उन्होंने केंद्र सरकार और बिहार सरकार दोनों को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है. उन्होंने कहा कि आरटीआई से पता चला है कि किसी राज्य ने भी जानवरों को मारने की मंजूरी नहीं मांगी है. वहीं नीतीश सरकार पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि आजादी के बाद बिहार में होने वाला यह पहला इतना बड़ा प्राणी संहार है. मेनका कहती हैं कि गुजरात में एक लाख 86 हजार नीलगाएं हैं और वह अकसर मूंगफली, अरांडी, बाजरा, गन्ना, कपास आदि फसलों को नुकसान पहुंचाती है, इसके बाद भी वहां एक भी नीलगाय नहीं मारी गई है. गौरतलब है कि साल 2007 में ही केंद्र सरकार ने गुजरात सरकार को नीलगायों को मारने की मंजूरी दी थी.

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