एक तरफ उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार ने शराब सस्ती कर दी है. दूसरी तरफ बिहार में मुख्यमंत्राी नीतीश कुमार ने बिहार में शराब बंद कर दी है. जिसका जनता को बडा समर्थन मिल रहा है. बिहार में अपराध् के आंकडे देखने से भी पता चलता है कि शराब बंदी के बाद अपराधें में कमी आई है. बिहार की बडी सीमा उत्तर प्रदेश से भी मिलती है. उत्तर प्रदेश में शराब के सस्ती होने के कारण बिहार में तस्करी करके ले जाई जाती है.

बिहार के मुख्यमंत्राी नीतीश कुमार जानते है कि जब तक उत्तर प्रदेश में शराब की बंदी नहीं होगी तब तक बिहार पूरी तरह से शराब मुक्त नहीं हो सकेगा. नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश के विधनसभा चुनाव में भी ‘शराबबंदी’ को चुनावी हथियार बनाना चाहते है. नीतीश कुमार ने मंडल आयोग लागू करने वाले पूर्व प्रधनमंत्राी विश्वनाथ प्रताप सिंह की विचारधरा को भी उत्तर प्रदेश की राजनीति के केन्द्र में स्थापित करने का प्रयास करेगे.

उत्तर प्रदेश में विश्वनाथ प्रताप सिंह को आज भी समाजसुधरक और पिछडा वर्ग के समर्थक के रूप में पहचाना जाता है.उनकी विचारधरा से लोगों का जोडने का प्रयास नीतीश कुमार करेगे. 15 मई को लखनउफ में नीतीश कुमार ‘किसानमंच’ की महिलाओं के कार्यक्रम में हिस्सा लेगे. ‘किसानमंच’ की स्थापना विश्वनाथ प्रताप सिंह ने की थी. इसके पहले 12 मई को वाराणसी के पिंडारा में जनता दल ;यूनाइटेड यानि जदयू के कार्यकताओं के सम्मेलन में हिस्सा लेगे.

नीतीश कुमार दरअसल उत्तर प्रदेश में मंडल राजनीति को केन्द्र में लाना चाहते है.वह शराबबंदी को प्रमुख मुददा बना कर जयप्रकाश नारायण और डाक्टर राम मनोहर लोहिया की शराब बंदी के विचार को सामाजिक मुददा बनायेगे.नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश के विधनसभा चुनाव में एक महागठबंध्न बनाने की तैयारी में है. जिसमें राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस प्रमुख सहयोगी होगे.कांग्रेेस की चुनावी कमान संभाल रहे प्रशांत किशोर के साथ नीतीश का पुराना संबंध् है. ऐसे में एक बेहतर तालमेल की उम्मीद की जा रही है. नीतीश कुमार लोकदल के चौधरी अजीत सिंह को भी महागंठबंध्न में जोडना चाहते है.

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