उज्जैन मे चल रहे सिंहस्थ कुम्भ मेले मे उम्मीद के मुताबिक भीड़ न उमड़ने से मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान खासे दुखी और खफा हैं. 22 अप्रेल को पहले शाही स्नान में न के बराबर श्रद्धालु आए और जो आए वे खासे परेशान हुये तो सरकार की जमकर छीछ्लेदारी हुई. इस पर प्रचार प्रसार में करोड़ों रुप्ये फूँक चुकी सरकार की कलई खुली और आरोप भी लगा  कि न्योता तो बड़े ज़ोर शोर से दे दिया लेकिन डुबकी लगाने के लिए चिलचिलाती धूप में लोग घाटों तक पहुँचने में घंटों भटकते रहे पर राह दिखाने बाले कर्मचारियों को ही रास्ता नहीं मालूम था. शिवराज सिंह ने जमकर खिंचाई अधिकारियों की कि तब कहीं जाकर हालात थोड़े सुधरे फिर भी भीड़ नहीं बढ़ रही तो गिनाने वालों ने वजहें गिनाना शुरू कर दीं कि गर्मी बहुत है, किसान खेती किसानी मे व्यस्त है और उज्जैन देश के सभी रेल मार्गों से सीधे नहीं जुड़ा है लेकिन असल वजह किसी ने बताने की हिम्मत नहीं जुटाई कि लोगों का मोह ऐसे मेले ठेलों से भंग हो चला है.

बहरहाल शिवराज सिंह की भीड़ बाली परेशानी जिसे वे प्रतिष्ठा का प्रश्न बना चुके हैं अब हल होती दिख रही है क्योंकि अब कुम्भ की रौनक बढ़ाने एक एक कर नामी नेता पहुँचने वाले हैं जिससे सियासी पारा भी चढ़ेगा और ग्राहकों को तरस रहे साधू संतों की भी दुकानें चमकेंगी. शुरुआत कांग्रेसी दिग्गज कमलनाथ से होगी जो सिंहस्थ आकर तमाम छोटे बड़े धर्म गुरुओं से मिलेंगे. इसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने लाव लश्कर सहित आएंगे. लेकिन मेगा शो भाजपा अध्क्क्ष अमित शाह पेश करेंगे जिसमे वे दलित साधू संतो से मिलेंगे, दलितों के साथ समरसता डुबकी लगायेंगे और दलितों के संग ही एक पंगत मे बैठकर भोज करेंगे.

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