जातीय नफरत का भेडि़या इस बार देशभक्ति की खाल में है. हैदराबाद सैंट्रल यूनिवर्सिटी से निकल कर अब यह राजधानी दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में घुस आया. हैदराबाद में रोहित वेमुला का शिकार करने के बाद उस ने अब कन्हैया कुमार को दबोच लिया है. देशभर के विश्वविद्यालय, खासतौर से केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कैंपस उबल रहे हैं. देश 2 भागों में बंटा दिखाईर् दे रहा है. देशभक्ति पर बहस छिड़ी हुई है. एक कन्हैया कुमार को राष्ट्रद्रोही साबित करने पर तुला है तो दूसरा देशभक्त. सरकार पर विरोधी विचारों के दमन के आरोप लग रहे हैं.

बजट अधिवेशन शुरू होते ही देश की संसद गरम होने लगी. विपक्ष सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहा है. जेएनयू मामला सरकार के गले की फांस बन रहा है. हालांकि, हाई कोर्ट ने कन्हैया कुमार को जमानत दे दी है. पर ऐसी शर्तें लगा दी हैं जो जमानत के मामले में अति लगती हैं हालांकि कोई इस मामले में उच्च न्यायालय में नहीं जाएगा. देशभर के लोगों में रोष फैल रहा है. इस से पहले कन्हैया की रिहाई की मांग को ले कर चारों तरफ से आवाजें बुलंद हुईं और प्रदर्शनों के दौर चले.

9 फरवरी को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु की तीसरी बरसी पर वामपंथी छात्र संगठनों ने कार्यक्रम आयोजित किया था. कार्यक्रम में संगठन से जुड़े कई छात्र इकट्ठा थे. कहा जाता है कि कार्यक्रम में बाहर से आए हुए कुछ लोगों ने पाकिस्तान जिंदाबाद और कश्मीर की आजादी ले कर रहेंगे, जैसे नारे लगाए जिन्हें अब तक ढूंढ़ा नहीं जा सका है. उस समय न कोई तोड़फोड़ हुई न देश के विरुद्ध विद्रोह की साजिश की गई.

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