भारतीय जनता पार्टी का काग्रेस मुक्त भारत का सपना भले ही पूरा हो रहा हो, पर भगवायुक्त भारत का सपना पूरा होने की राह में तमाम कांटे हैं. कांग्रेस मुक्त भारत देश की जरूरत है. पर भगवायुक्त भारत देश के लिये उससे बड़ा खतरा है. देश का मतदाता यह समझ रहा है. यही कारण है कि भाजपा के इतने प्रभाव के बाद भी देश की राजनीति में उसकी हिस्सेदारी क्षेत्रीय दलों से कम ही है. पूरे देश में विधायकों की संख्या को देखें, तो यह बात साफ हो जाती है.

देश में गैर भाजपाई और गैर कांग्रेसी विधायकों की संख्या 2137 है, जो भाजपा के विधायकों की संख्या 1050 और कांग्रेसी विधायकों की संख्या 869 से बहुत ज्यादा है. कांग्रेस के डूबने का कारण उसकी नीतियां और नेता हैं, जो देश की जनता से जुड़ना पसंद नहीं करते. भाजपा में भी ऐसे नेताओं का बड़ा वर्ग है. ऐसे में जहां जहां भाजपा और कांग्रेस का सीधा मुकाबला है, वोटर एक दूसरे में उलझ कर रह जा रहा है. जहां विकल्प के रूप में अच्छी पार्टी, अच्छा नेता मौजूद होता है, वहां पर वह दोनो ही दलों को नकार रहा है.

असम में सरकार बनाने के बाद भाजपा के कांग्रेस मुक्त अभियान की चर्चा जोरों पर है. भाजपा नेताओं ने अपना पूरा ध्यान कांग्रेस मुक्त भारत पर फोकस कर लिया है. भाजपा को यह देखना चाहिये कि देश की जनता कांग्रेस मुक्त भारत चाहती है. इसके बाद भी भगवा युक्त भारत उसकी कल्पना में नहीं है. अगर देश के मतदाता को भगवा युक्त भारत चाहिये होता तो गैर भाजपाई विधायकों की संख्या इतनी अधिक नहीं होती. 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा की लोकप्रियता का ग्राफ बराबर गिर रहा है. कांग्रेस मुक्त भारत अभियान की खुशी में भाजपा इस बात को समझ नहीं रही है. भाजपा को समझना चाहिये कि देश कांग्रेस मुक्त तो हो जायेगा, पर यह भगवा युक्त नहीं होगा. भाजपा के विधायकों की संख्या गैर भाजपाई और गैर कांग्रेसी विधायकों से बहुत कम है.

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